विषय सूची:
- पदार्थ क्या है?
- परिभाषा
- प्राचीन भारतीय दार्शनिकों का वर्गीकरण
- आधुनिक वैज्ञानिकों का वर्गीकरण
- पदार्थ के भौतिक गुण
- पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है
- पदार्थ के कण बहुत छोटे होते हैं
- पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है
- पदार्थ के कण लगातार गतिशील होते हैं
- पदार्थ के कण एक दूसरे को आकर्षित करते हैं
- पदार्थ की अवस्थाएँ
- ठोस अवस्था (Solid State)
- गुणधर्म: निश्चित आकार, निश्चित आयतन, असंपीड्य
- कारण: कणों के बीच प्रबल आकर्षण बल और कम गतिज ऊर्जा
- द्रव अवस्था (Liquid State)
- गुणधर्म: निश्चित आयतन, अनिश्चित आकार, कुछ हद तक संपीड्य
- कारण: कणों के बीच आकर्षण बल ठोस से कम और गतिज ऊर्जा अधिक
- गैस अवस्था (Gaseous State)
- गुणधर्म: अनिश्चित आकार, अनिश्चित आयतन, अत्यधिक संपीड्य
- कारण: कणों के बीच दुर्बल आकर्षण बल और उच्च गतिज ऊर्जा
- ठोस अवस्था (Solid State)
- क्या पदार्थ अपनी अवस्था बदल सकता है?
- तापमान का प्रभाव
- गलनांक (Melting Point): वह तापमान जिस पर ठोस पिघलकर द्रव बनता है।
- क्वथनांक (Boiling Point): वह तापमान जिस पर द्रव उबलकर गैस बनता है।
- ऊर्ध्वपातन (Sublimation): ठोस का सीधे गैस में बदलना या गैस का सीधे ठोस में बदलना। उदाहरण: कपूर, अमोनियम क्लोराइड।
- दाब का प्रभाव
- गैसों को दबाकर द्रव में बदला जा सकता है।
- तापमान का प्रभाव
- वाष्पीकरण (Evaporation)
- परिभाषा: द्रव की सतह के कणों का धीरे-धीरे गैस में बदलना।
- वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक:
- सतही क्षेत्र (Surface Area)
- तापमान (Temperature)
- आर्द्रता (Humidity)
- वायु की गति (Wind Speed)
- वाष्पीकरण से शीतलता क्यों होती है?
- संघनन (Condensation)
- परिभाषा: गैस का द्रव में बदलना।
- कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ
- विसरण (Diffusion)
- घनत्व (Density)विस्तृत नोट्स:
- 1. पदार्थ क्या है?
- परिभाषा: कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती है और जिसमें द्रव्यमान (भार) होता है, पदार्थ कहलाती है। हमारे आस-पास की हर चीज पदार्थ से बनी है – हवा, पानी, पत्थर, पौधे, जानवर, आदि।
- प्राचीन भारतीय दार्शनिकों का वर्गीकरण: प्राचीन भारतीय दार्शनिकों ने पदार्थ को पाँच मूल तत्वों (“पंच तत्व”) में वर्गीकृत किया था: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश।
- आधुनिक वैज्ञानिकों का वर्गीकरण: आधुनिक वैज्ञानिकों ने पदार्थ को दो मुख्य आधारों पर वर्गीकृत किया है:
- भौतिक गुणधर्मों के आधार पर: ठोस, द्रव और गैस।
- रासायनिक प्रकृति के आधार पर: तत्व, यौगिक और मिश्रण (यह अगले अध्यायों में पढ़ेंगे)।
- 2. पदार्थ के भौतिक गुण:
- पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है और इन कणों में कुछ विशेष गुण होते हैं:
- पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है: पहले यह माना जाता था कि पदार्थ सतत होता है, लेकिन बाद में प्रयोगों से पता चला कि पदार्थ वास्तव में बहुत छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है। उदाहरण के लिए, पानी में चीनी या नमक घोलने पर वे पूरे पानी में समान रूप से फैल जाते हैं, जो दर्शाता है कि पानी भी कणों से बना है और चीनी/नमक के कण उनके बीच के रिक्त स्थानों में समावेशित हो जाते हैं।
- पदार्थ के कण बहुत छोटे होते हैं: पदार्थ के कण इतने छोटे होते हैं कि हम उन्हें अपनी नग्न आँखों से नहीं देख सकते। एक क्रिस्टल में अरबों कण मौजूद होते हैं। पोटैशियम परमैंगनेट के कुछ क्रिस्टलों को पानी में घोलने पर उसका रंग पूरे पानी में फैल जाता है, और बार-बार तनु करने पर भी रंग हल्का होता जाता है, लेकिन पूरी तरह से गायब नहीं होता। यह दर्शाता है कि पोटैशियम परमैंगनेट के एक छोटे से क्रिस्टल में भी लाखों छोटे कण मौजूद होते हैं।
- पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है: जब हम पानी में चीनी या नमक घोलते हैं, तो वे गायब नहीं होते, बल्कि पानी के कणों के बीच जो रिक्त स्थान होता है, उसमें समावेशित हो जाते हैं। यह दर्शाता है कि पदार्थ के कणों के बीच खाली जगह होती है।
- पदार्थ के कण लगातार गतिशील होते हैं: पदार्थ के कण स्थिर नहीं रहते, बल्कि लगातार गति करते रहते हैं। गैसों में यह गति सबसे अधिक होती है, द्रवों में उससे कम और ठोसों में सबसे कम (केवल कंपन करते हैं)। अगरबत्ती जलाने पर उसकी खुशबू पूरे कमरे में फैल जाती है, यह कणों की गति के कारण ही होता है। इसे विसरण (Diffusion) कहते हैं। उच्च सांद्रता वाले क्षेत्र से निम्न सांद्रता वाले क्षेत्र में कणों की स्वतः गति विसरण कहलाती है।
- पदार्थ के कण एक दूसरे को आकर्षित करते हैं: पदार्थ के कणों के बीच एक आकर्षण बल कार्य करता है जो उन्हें एक साथ बांधे रखता है। यह बल अलग-अलग पदार्थों में अलग-अलग होता है। ठोसों में यह बल सबसे अधिक होता है, जिसके कारण उनका निश्चित आकार होता है। द्रवों में यह बल कम होता है, इसलिए वे बह सकते हैं और उनका निश्चित आकार नहीं होता। गैसों में यह बल बहुत कम होता है, इसलिए उनके कण स्वतंत्र रूप से घूमते रहते हैं।
- 3. पदार्थ की अवस्थाएँ:
- पदार्थ मुख्य रूप से तीन भौतिक अवस्थाओं में पाया जाता है: ठोस, द्रव और गैस।
- ठोस अवस्था (Solid State):
- गुणधर्म:
- निश्चित आकार: इनका एक निश्चित आकार होता है और इन्हें आसानी से बदला नहीं जा सकता।
- निश्चित आयतन: इनका एक निश्चित आयतन होता है और इन्हें किसी भी बर्तन में रखने पर यह उतना ही स्थान घेरते हैं।
- असंपीड्य (Incompressible): इन्हें दबाना मुश्किल होता है क्योंकि इनके कण बहुत पास-पास व्यवस्थित होते हैं और उनके बीच खाली स्थान बहुत कम होता है।
- कारण: ठोसों में कण बहुत पास-पास व्यवस्थित होते हैं और उनके बीच प्रबल आकर्षण बल होता है। कणों की गतिज ऊर्जा बहुत कम होती है, इसलिए वे केवल अपनी माध्य स्थिति के चारों ओर कंपन कर सकते हैं।
- उदाहरण: पत्थर, लकड़ी, लोहा, बर्फ।
- गुणधर्म:
- द्रव अवस्था (Liquid State):
- गुणधर्म:
- अनिश्चित आकार: इनका कोई निश्चित आकार नहीं होता। इन्हें जिस बर्तन में डाला जाता है, ये उसी का आकार ले लेते हैं।
- निश्चित आयतन: इनका एक निश्चित आयतन होता है।
- कुछ हद तक संपीड्य: ठोसों की तुलना में इन्हें थोड़ा दबाया जा सकता है क्योंकि इनके कणों के बीच ठोसों से अधिक रिक्त स्थान होता है।
- कारण: द्रवों में कण ठोसों की तुलना में दूर-दूर व्यवस्थित होते हैं और उनके बीच आकर्षण बल ठोसों से कम होता है। कणों की गतिज ऊर्जा ठोसों से अधिक होती है, इसलिए वे इधर-उधर बह सकते हैं।
- उदाहरण: पानी, दूध, तेल।
- गुणधर्म:
- गैस अवस्था (Gaseous State):
- गुणधर्म:
- अनिश्चित आकार: इनका कोई निश्चित आकार नहीं होता।
- अनिश्चित आयतन: इनका कोई निश्चित आयतन नहीं होता। ये जिस बर्तन में रखे जाते हैं, उसका पूरा आयतन घेर लेते हैं।
- अत्यधिक संपीड्य (Highly Compressible): इन्हें आसानी से दबाया जा सकता है क्योंकि इनके कणों के बीच बहुत अधिक रिक्त स्थान होता है।
- कारण: गैसों में कण बहुत दूर-दूर व्यवस्थित होते हैं और उनके बीच आकर्षण बल बहुत कम होता है। कणों की गतिज ऊर्जा बहुत अधिक होती है, इसलिए वे स्वतंत्र रूप से सभी दिशाओं में तेजी से घूमते हैं।
- उदाहरण: हवा, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड।
- गुणधर्म:
- 4. क्या पदार्थ अपनी अवस्था बदल सकता है?
- हाँ, पदार्थ तापमान और दाब में परिवर्तन करके अपनी अवस्था बदल सकता है।
- तापमान का प्रभाव:
- गलनांक (Melting Point): वह निश्चित तापमान जिस पर कोई ठोस पिघलकर द्रव अवस्था में परिवर्तित होता है, उसका गलनांक कहलाता है। ठोस का गलनांक उसके कणों के बीच आकर्षण बल की शक्ति पर निर्भर करता है। बर्फ का गलनांक 0°C (273.15 K) होता है।
- क्वथनांक (Boiling Point): वह निश्चित तापमान जिस पर कोई द्रव उबलकर गैसीय अवस्था में परिवर्तित होता है, उसका क्वथनांक कहलाता है। पानी का क्वथनांक 100°C (373.15 K) होता है।
- ऊर्ध्वपातन (Sublimation): कुछ ठोस गर्म करने पर बिना द्रव अवस्था में बदले सीधे गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं, और ठंडे करने पर गैस सीधे ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाती है। इस प्रक्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं।
- उदाहरण: कपूर (Camphor), अमोनियम क्लोराइड (Ammonium Chloride), नेफ्थलीन (Naphthalene)।
- दाब का प्रभाव:
- दाब में परिवर्तन से भी पदार्थ की अवस्था परिवर्तित हो सकती है, खासकर गैसों के मामले में।
- गैसों पर दाब बढ़ाने और तापमान कम करने से उन्हें द्रव में बदला जा सकता है। उदाहरण के लिए, रसोई गैस (LPG) और संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) को उच्च दाब पर द्रवित करके सिलेंडरों में भरा जाता है।
- 5. वाष्पीकरण (Evaporation):
- परिभाषा: किसी द्रव की सतह के कणों का किसी भी तापमान पर धीरे-धीरे गैसीय अवस्था में परिवर्तित होने की प्रक्रिया वाष्पीकरण कहलाती है। यह क्वथन से अलग है, क्योंकि क्वथन पूरे द्रव में एक साथ होता है और एक निश्चित तापमान पर होता है।
- वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक:
- सतही क्षेत्र (Surface Area): सतह क्षेत्र बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, कपड़े सुखाने के लिए उन्हें फैलाकर डाला जाता है।
- तापमान (Temperature): तापमान बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है क्योंकि अधिक कणों को गैसीय अवस्था में बदलने के लिए पर्याप्त ऊर्जा मिल जाती है।
- आर्द्रता (Humidity): वायु में मौजूद जलवाष्प की मात्रा आर्द्रता कहलाती है। यदि वायु में पहले से ही अधिक जलवाष्प मौजूद है, तो वाष्पीकरण की दर कम हो जाती है। शुष्क हवा में वाष्पीकरण तेजी से होता है।
- वायु की गति (Wind Speed): तेज हवा चलने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है क्योंकि हवा सतह से जलवाष्प के कणों को उड़ा ले जाती है, जिससे और अधिक वाष्पीकरण होता है।
- वाष्पीकरण से शीतलता क्यों होती है? वाष्पीकरण के दौरान, द्रव की सतह के कण ऊर्जा प्राप्त करके गैसीय अवस्था में बदल जाते हैं। यह ऊर्जा वे आसपास के द्रव या सतह से लेते हैं, जिसके कारण आसपास का तापमान गिर जाता है और हमें ठंडक महसूस होती है। उदाहरण के लिए, गर्मी में पसीने के वाष्पीकरण से हमें ठंडक मिलती है।
- 6. संघनन (Condensation):
- परिभाषा: गैसीय अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तन की प्रक्रिया संघनन कहलाती है। यह वाष्पीकरण की विपरीत प्रक्रिया है। जब जलवाष्प ठंडी सतह के संपर्क में आती है, तो वह अपनी ऊर्जा खो देती है और द्रव में बदल जाती है। उदाहरण के लिए, ठंडे पानी की बोतल के बाहरी सतह पर पानी की बूंदें जमा हो जाना।
- 7. कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ:
- विसरण (Diffusion): दो या दो से अधिक पदार्थों के कणों का स्वतः ही एक दूसरे में मिल जाना विसरण कहलाता है। गैसों में विसरण सबसे तेजी से होता है, उसके बाद द्रवों में और ठोसों में सबसे धीरे। तापमान बढ़ने पर विसरण की दर बढ़ जाती है क्योंकि कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
- घनत्व (Density): किसी पदार्थ के इकाई आयतन में उपस्थित द्रव्यमान को उसका घनत्व कहते हैं। घनत्व = द्रव्यमान / आयतन (ρ=Vm). ठोसों का घनत्व आमतौर पर द्रवों और गैसों से अधिक होता है।
- यह अध्याय हमारे आस-पास के पदार्थों की बुनियादी समझ प्रदान करता है। आगे के अध्यायों में हम पदार्थों के रासायनिक गुणों और उनके वर्गीकरण के बारे में और विस्तार से जानेंगे।
- याद रखने योग्य मुख्य बातें:
- पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है।
- पदार्थ के कण बहुत छोटे होते हैं और उनके बीच रिक्त स्थान होता है।
- पदार्थ के कण लगातार गतिशील होते हैं और एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।
- पदार्थ की तीन मुख्य अवस्थाएँ हैं: ठोस, द्रव और गैस।
- तापमान और दाब में परिवर्तन करके पदार्थ की अवस्था बदली जा सकती है।
- वाष्पीकरण एक सतही प्रक्रिया है जो शीतलता प्रदान करती है।
- विसरण पदार्थों के कणों का स्वतः मिश्रण है।