अध्याय 2: अम्ल, क्षारक एवं लवण

अध्याय 2: अम्ल, क्षारक एवं लवण

  • परिचय
  • अम्ल
    • परिभाषा
    • गुण
    • प्रकार
  • क्षारक
    • परिभाषा
    • गुण
    • प्रकार
  • लवण
    • परिभाषा
    • गुण
    • प्रकार
  • अम्लों और क्षारकों की प्रबलता
    • pH स्केल
    • सार्वत्रिक सूचक
    • आयन की सांद्रता का महत्व
  • लवणों का pH
  • कुछ महत्वपूर्ण रासायनिक यौगिक
    • सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH)
    • विरंजक चूर्ण ()
    • बेकिंग सोडा ()
    • धोने का सोडा ()
    • प्लास्टर ऑफ पेरिस ()
  • क्रिस्टलन का जल
  • सारांश
  • अतिरिक्त महत्वपूर्ण बिंदु

अम्ल, क्षार एवं लवण – विस्तृत नोट्स (CBSE, NCERT आधारित)

परिचय:

यह अध्याय रसायन विज्ञान का एक महत्वपूर्ण भाग है जो हमें अम्लों, क्षारकों और लवणों के गुणों, अभिक्रियाओं और दैनिक जीवन में उनके उपयोगों के बारे में बताता है। यह नोट्स NCERT की पाठ्यपुस्तक और सहायक सामग्री पर आधारित हैं ताकि आपको विषय को आसानी से समझने में मदद मिल सके।

मुख्य विषय:

  1. अम्ल (Acids):
    • परिभाषा: अम्ल वे पदार्थ हैं जो स्वाद में खट्टे होते हैं, नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं और जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयन (H+) देते हैं।
    • गुण:
      • खट्टा स्वाद: नींबू, इमली आदि में अम्ल मौजूद होते हैं।
      • लिटमस पर प्रभाव: नीले लिटमस को लाल कर देते हैं।
      • धातुओं से अभिक्रिया: सक्रिय धातुओं (जैसे जिंक, मैग्नीशियम) से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस (H2​) उत्सर्जित करते हैं।
        • उदाहरण: Zn(s)+H2​SO4​(aq)→ZnSO4​(aq)+H2​(g)
      • धातु कार्बोनेट और धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट से अभिक्रिया: कार्बन डाइऑक्साइड गैस (CO2​) उत्सर्जित करते हैं।
        • उदाहरण: Na2​CO3​(s)+2HCl(aq)→2NaCl(aq)+H2​O(l)+CO2​(g)
        • उदाहरण: NaHCO3​(s)+HCl(aq)→NaCl(aq)+H2​O(l)+CO2​(g)
      • क्षारकों से अभिक्रिया: लवण और जल बनाते हैं (उदासीनीकरण अभिक्रिया)।
        • उदाहरण: HCl(aq)+NaOH(aq)→NaCl(aq)+H2​O(l)
    • प्रकार:
      • प्रबल अम्ल (Strong Acids): वे अम्ल जो जलीय विलयन में लगभग पूरी तरह से आयनित होकर अधिक मात्रा में H+ आयन देते हैं।
        • उदाहरण: हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl), सल्फ्यूरिक अम्ल (H2​SO4​), नाइट्रिक अम्ल (HNO3​)
      • दुर्बल अम्ल (Weak Acids): वे अम्ल जो जलीय विलयन में आंशिक रूप से आयनित होते हैं और कम मात्रा में H+ आयन देते हैं।
        • उदाहरण: एसिटिक अम्ल (CH3​COOH), कार्बोनिक अम्ल (H2​CO3​)
      • कार्बनिक अम्ल (Organic Acids): वे अम्ल जिनमें कार्बन परमाणु उपस्थित होते हैं। आमतौर पर ये दुर्बल अम्ल होते हैं।
        • उदाहरण: एसिटिक अम्ल, फॉर्मिक अम्ल, साइट्रिक अम्ल
  2. क्षारक (Bases):
    • परिभाषा: क्षारक वे पदार्थ हैं जो स्वाद में कड़वे होते हैं, लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं और जलीय विलयन में हाइड्रॉक्साइड आयन (OH−) देते हैं।
    • गुण:
      • कड़वा स्वाद: साबुन, बेकिंग सोडा आदि में क्षारक मौजूद होते हैं।
      • लिटमस पर प्रभाव: लाल लिटमस को नीला कर देते हैं।
      • अम्लों से अभिक्रिया: लवण और जल बनाते हैं (उदासीनीकरण अभिक्रिया)।
        • उदाहरण: NaOH(aq)+HCl(aq)→NaCl(aq)+H2​O(l)
      • कुछ धातुओं से अभिक्रिया: कुछ क्षारक (जैसे NaOH) कुछ धातुओं (जैसे जिंक, एल्युमीनियम) से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित करते हैं।
        • उदाहरण: 2NaOH(aq)+Zn(s)→Na2​ZnO2​(aq)+H2​(g) (सोडियम जिंकेट)
      • स्पर्श करने पर साबुन जैसे चिकने लगते हैं।
    • प्रकार:
      • प्रबल क्षारक (Strong Bases): वे क्षारक जो जलीय विलयन में लगभग पूरी तरह से आयनित होकर अधिक मात्रा में OH− आयन देते हैं।
        • उदाहरण: सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH), पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH)
      • दुर्बल क्षारक (Weak Bases): वे क्षारक जो जलीय विलयन में आंशिक रूप से आयनित होते हैं और कम मात्रा में OH− आयन देते हैं।
        • उदाहरण: अमोनियम हाइड्रॉक्साइड (NH4​OH)
      • क्षार (Alkalis): वे क्षारक जो जल में घुलनशील होते हैं। सभी क्षार क्षारक होते हैं, लेकिन सभी क्षारक क्षार नहीं होते (जैसे धातु ऑक्साइड जो जल में अघुलनशील होते हैं)।
  3. लवण (Salts):
    • परिभाषा: लवण वे आयनिक यौगिक हैं जो अम्ल और क्षारक की अभिक्रिया (उदासीनीकरण अभिक्रिया) के परिणामस्वरूप बनते हैं। इनमें धनायन (cation) अम्ल से (हाइड्रोजन आयन के स्थान पर) और ऋणायन (anion) क्षारक से (हाइड्रॉक्साइड आयन के स्थान पर) आता है।
    • गुण:
      • लवण ठोस होते हैं।
      • इनके गलनांक और क्वथनांक उच्च होते हैं।
      • ये जल में घुलनशील या अघुलनशील हो सकते हैं।
      • जलीय विलयन में विद्युत के सुचालक होते हैं (आयन की उपस्थिति के कारण)।
    • प्रकार:
      • सामान्य लवण (Normal Salts): वे लवण जिनमें विस्थापनीय हाइड्रोजन या हाइड्रॉक्साइड आयन नहीं होते हैं।
        • उदाहरण: सोडियम क्लोराइड (NaCl), पोटैशियम सल्फेट (K2​SO4​)
      • अम्लीय लवण (Acidic Salts): वे लवण जिनमें विस्थापनीय हाइड्रोजन आयन उपस्थित होते हैं (दुर्बल क्षारक और प्रबल अम्ल की अभिक्रिया से बनते हैं)।
        • उदाहरण: सोडियम हाइड्रोजन सल्फेट (NaHSO4​)
      • क्षारीय लवण (Basic Salts): वे लवण जिनमें हाइड्रॉक्साइड आयन उपस्थित होते हैं (दुर्बल अम्ल और प्रबल क्षारक की अभिक्रिया से बनते हैं)।
        • उदाहरण: बेसिक कॉपर क्लोराइड (Cu(OH)Cl)
      • द्विक लवण (Double Salts): वे लवण जो दो सरल लवणों के जलीय विलयन के क्रिस्टलीकरण से बनते हैं और अपने जलीय विलयन में सरल आयनों में विघटित हो जाते हैं।
        • उदाहरण: फिटकरी (K2​SO4​.Al2​(SO4​)3​.24H2​O)
      • संकुल लवण (Complex Salts): वे लवण जिनमें जटिल आयन उपस्थित होते हैं।
        • उदाहरण: पोटैशियम फेरोसायनाइड (K4​[Fe(CN)6​])
  4. अम्लों और क्षारकों की प्रबलता (Strength of Acids and Bases):
    • pH स्केल: किसी विलयन में हाइड्रोजन आयन (H+) सांद्रता मापने के लिए एक स्केल, जिसे pH स्केल कहते हैं।
      • pH मान 0 से 14 तक होता है।
      • pH < 7: अम्लीय विलयन (हाइड्रोजन आयन सांद्रता अधिक)
      • pH = 7: उदासीन विलयन (हाइड्रोजन आयन और हाइड्रॉक्साइड आयन सांद्रता बराबर)
      • pH > 7: क्षारीय विलयन (हाइड्रॉक्साइड आयन सांद्रता अधिक)
    • सार्वत्रिक सूचक (Universal Indicator): यह कई सूचकों का मिश्रण होता है जो विलयन में हाइड्रोजन आयन की विभिन्न सांद्रताओं पर अलग-अलग रंग दिखाता है, जिससे pH के एक विस्तृत परास को मापा जा सकता है।
    • H+ आयन की सांद्रता का महत्व: जलीय जीवों और पौधों के लिए एक निश्चित pH परास महत्वपूर्ण होता है। हमारे पाचन तंत्र में भी pH का महत्व है।
  5. लवणों का pH (pH of Salts):
    • प्रबल अम्ल और प्रबल क्षारक के लवण: उदासीन होते हैं (pH ≈ 7)।
      • उदाहरण: NaCl, K2​SO4​
    • प्रबल अम्ल और दुर्बल क्षारक के लवण: अम्लीय होते हैं (pH < 7)।
      • उदाहरण: अमोनियम क्लोराइड (NH4​Cl)
    • दुर्बल अम्ल और प्रबल क्षारक के लवण: क्षारीय होते हैं (pH > 7)।
      • उदाहरण: सोडियम कार्बोनेट (Na2​CO3​)
    • दुर्बल अम्ल और दुर्बल क्षारक के लवण: इनका pH अम्लों और क्षारकों की सापेक्ष प्रबलता पर निर्भर करता है।
  6. कुछ महत्वपूर्ण रासायनिक यौगिक (Some Important Chemical Compounds):
    • सोडियम हाइड्रॉक्साइड (Sodium Hydroxide – NaOH) (कॉस्टिक सोडा):
      • बनाने की विधि: सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन (ब्राइन) के विद्युत अपघटन द्वारा प्राप्त किया जाता है (क्लोरो-क्षार प्रक्रिया)।
        • 2NaCl(aq)+2H2​O(l)विद्युत अपघटन​2NaOH(aq)+Cl2​(g)+H2​(g)
      • उपयोग: साबुन और डिटर्जेंट बनाने में, कागज उद्योग में, कृत्रिम फाइबर (रेयॉन) बनाने में, प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में।
    • विरंजक चूर्ण (Bleaching Powder – CaOCl2​):
      • बनाने की विधि: शुष्क बुझे हुए चूने (Ca(OH)2​) पर क्लोरीन गैस प्रवाहित करके बनाया जाता है।
        • Ca(OH)2​(s)+Cl2​(g)→CaOCl2​(s)+H2​O(l)
      • उपयोग: वस्त्र उद्योग में सूती और लिनेन के विरंजन में, कागज उद्योग में लकड़ी की लुगदी के विरंजन में, पीने वाले पानी को कीटाणु रहित करने में (विसंक्रामक के रूप में)।
    • बेकिंग सोडा (Baking Soda – NaHCO3​) (सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट या सोडियम बाइकार्बोनेट):
      • बनाने की विधि: सोडियम क्लोराइड, जल, कार्बन डाइऑक्साइड और अमोनिया की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है (सोल्वे प्रक्रिया)।
        • NaCl(aq)+H2​O(l)+CO2​(g)+NH3​(g)→NH4​Cl(aq)+NaHCO3​(s)
      • उपयोग: बेकिंग पाउडर बनाने में (टार्टरिक अम्ल जैसे दुर्बल अम्ल के साथ मिलाकर), एंटासिड के रूप में (पेट की अम्लता को कम करने में), सोडा-अम्ल अग्निशामक में।
    • धोने का सोडा (Washing Soda – Na2​CO3​.10H2​O) (सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट):
      • बनाने की विधि: बेकिंग सोडा को गर्म करके सोडियम कार्बोनेट प्राप्त किया जाता है, जिसका पुन: क्रिस्टलीकरण करने पर धोने का सोडा प्राप्त होता है।
        • 2NaHCO3​(s)Δ​Na2​CO3​(s)+H2​O(l)+CO2​(g)
        • Na2​CO3​(s)+10H2​O(l)→Na2​CO3​.10H2​O(s)
      • उपयोग: कांच, साबुन और कागज उद्योग में, घरों में सफाई के लिए, जल की स्थायी कठोरता को दूर करने में।
    • प्लास्टर ऑफ पेरिस (Plaster of Paris – CaSO4​.21​H2​O) (कैल्शियम सल्फेट हेमीहाइड्रेट):
      • बनाने की विधि: जिप्सम (CaSO4​.2H2​O) को 373 K (100°C) पर गर्म करके बनाया जाता है।
        • CaSO4​.2H2​O(s)373K​CaSO4​.21​H2​O(s)+121​H2​O(g)
      • गुण: यह सफेद रंग का चूर्ण है जो जल के साथ मिलाने पर जिप्सम बनाता है और कठोर हो जाता है।
      • उपयोग: टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए प्लास्टर के रूप में, खिलौने, सजावटी सामान और सतहों को चिकना बनाने में।
  7. क्रिस्टलन का जल (Water of Crystallization):
    • कुछ लवणों के क्रिस्टल में जल के निश्चित अणु उपस्थित होते हैं, जिन्हें क्रिस्टलन का जल कहते हैं। यह लवण के रासायनिक सूत्र का हिस्सा होता है।
    • उदाहरण: कॉपर सल्फेट पेंटाहाइड्रेट (CuSO4​.5H2​O) में जल के 5 अणु, धोने के सोडा में जल के 10 अणु।
    • गर्म करने पर क्रिस्टलन का जल निकल जाता है और लवण अपना रंग और क्रिस्टलीय आकार खो देता है।

सारांश:

इस अध्याय में हमने अम्लों, क्षारकों और लवणों की परिभाषाओं, गुणों, प्रकारों और अभिक्रियाओं के बारे में विस्तार से अध्ययन किया। हमने pH स्केल के महत्व और विभिन्न प्रकार के लवणों के pH के बारे में भी जाना। अंत में, हमने कुछ महत्वपूर्ण रासायनिक यौगिकों (सोडियम हाइड्रॉक्साइड, विरंजक चूर्ण, बेकिंग सोडा, धोने का सोडा और प्लास्टर ऑफ पेरिस) के बनाने की विधि और उनके उपयोगों पर चर्चा की। यह ज्ञान आपको इन महत्वपूर्ण रासायनिक पदार्थों को समझने और उनके दैनिक जीवन में अनुप्रयोगों को जानने में मदद करेगा।

अतिरिक्त महत्वपूर्ण बिंदु:

  • सूचक (Indicators) वे पदार्थ होते हैं जो अम्ल या क्षारक की उपस्थिति में अपना रंग बदलते हैं (जैसे लिटमस, मिथाइल ऑरेंज, फिनोलफथेलिन)।
  • उदासीनीकरण अभिक्रिया एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया होती है (ऊष्मा निकलती है)।
  • अम्लीय वर्षा (Acid Rain) वायु प्रदूषण के कारण होती है और इसका पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

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