अध्याय 6: ऊतक – विस्तृत नोट्स
विषय सूची:
- ऊतक क्या हैं?
- परिभाषा
- बहुकोशिकीय जीवों में ऊतकों का महत्व
- पौधों में ऊतक (Plant Tissues)
- विभज्योतक ऊतक (Meristematic Tissues)
- शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical Meristem)
- पार्श्व विभज्योतक (Lateral Meristem)
- अंतर्वेशी विभज्योतक (Intercalary Meristem)
- कार्य
- स्थायी ऊतक (Permanent Tissues)
- सरल स्थायी ऊतक (Simple Permanent Tissues)
- पैरेन्काइमा (Parenchyma)
- कॉलेंकाइमा (Collenchyma)
- स्क्लेरेन्काइमा (Sclerenchyma)
- जटिल स्थायी ऊतक (Complex Permanent Tissues)
- जाइलम (Xylem)
- फ्लोएम (Phloem)
- सुरक्षात्मक ऊतक (Protective Tissues)
- एपिडर्मिस (Epidermis)
- कॉर्क (Cork)
- सरल स्थायी ऊतक (Simple Permanent Tissues)
- विभज्योतक ऊतक (Meristematic Tissues)
- जंतुओं में ऊतक (Animal Tissues)
- उपकला ऊतक (Epithelial Tissue)
- शल्की उपकला (Squamous Epithelium)
- स्तंभाकार उपकला (Columnar Epithelium)
- घनाकार उपकला (Cuboidal Epithelium)
- ग्रंथिल उपकला (Glandular Epithelium)
- पक्ष्माभी उपकला (Ciliated Epithelium)
- स्तरित उपकला (Stratified Epithelium)
- कार्य
- संयोजी ऊतक (Connective Tissue)
- रक्त (Blood)
- अस्थि (Bone)
- उपास्थि (Cartilage)
- स्नायुबंधन (Ligament)
- कंडरा (Tendon)
- वसा ऊतक (Adipose Tissue)
- एरोलर ऊतक (Areolar Tissue)
- कार्य
- पेशी ऊतक (Muscular Tissue)
- रेखित पेशी (Striated Muscle / Skeletal Muscle)
- अरेखित पेशी (Unstriated Muscle / Smooth Muscle)
- हृदय पेशी (Cardiac Muscle)
- कार्य
- तंत्रिका ऊतक (Nervous Tissue)
- न्यूरॉन (Neuron)
- कार्य
- उपकला ऊतक (Epithelial Tissue)
विस्तृत नोट्स:
- ऊतक क्या हैं?
- परिभाषा: कोशिकाओं का वह समूह जो संरचना में समान होते हैं और एक विशिष्ट कार्य को संपन्न करने के लिए संगठित होते हैं, ऊतक कहलाते हैं।
- बहुकोशिकीय जीवों में ऊतकों का महत्व: बहुकोशिकीय जीवों में श्रम विभाजन पाया जाता है, जिसका अर्थ है कि अलग-अलग कार्य कोशिकाओं के विशिष्ट समूहों द्वारा किए जाते हैं। ऊतक इस श्रम विभाजन को संभव बनाते हैं, जिससे शरीर के कार्य अधिक दक्षता से हो पाते हैं। ऊतक मिलकर अंग बनाते हैं और अंग मिलकर अंग तंत्र बनाते हैं।
- पौधों में ऊतक (Plant Tissues):
पौधों में मुख्य रूप से दो प्रकार के ऊतक पाए जाते हैं:
- विभज्योतक ऊतक (Meristematic Tissues): ये ऊतक पौधों के उन भागों में पाए जाते हैं जहाँ कोशिका विभाजन लगातार होता रहता है और नई कोशिकाएँ बनती रहती हैं, जिससे पौधे में वृद्धि होती है। इनकी कोशिकाएँ छोटी, पतली भित्ति वाली और घने कोशिका द्रव्य वाली होती हैं। इनमें स्पष्ट केंद्रक पाया जाता है और रिक्तिकाएँ अनुपस्थित या बहुत छोटी होती हैं।
- शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical Meristem): यह जड़ और तने के शीर्ष (अगले सिरे) पर पाया जाता है और पौधे की लंबाई में वृद्धि करता है।
- पार्श्व विभज्योतक (Lateral Meristem): यह जड़ और तने की परिधि (मोटाई) में पाया जाता है और पौधे की मोटाई में वृद्धि करता है (द्वितीयक वृद्धि)। उदाहरण: कैम्बियम।
- अंतर्वेशी विभज्योतक (Intercalary Meristem): यह पत्तियों के आधार या पर्वों (इंटरनोड्स) के पास पाया जाता है और पौधे के उन भागों में वृद्धि करता है जो शीर्षस्थ विभज्योतक द्वारा छोड़े गए होते हैं। उदाहरण: घास में पर्वों के पास।
- कार्य: पौधे में वृद्धि करना और नई कोशिकाओं का निर्माण करना।
- स्थायी ऊतक (Permanent Tissues): ये ऊतक विभज्योतक ऊतकों से बनते हैं जब वे विभाजन की क्षमता खो देते हैं और एक विशिष्ट कार्य करने के लिए स्थायी रूप से रूपांतरित हो जाते हैं। इनकी कोशिकाएँ पतली या मोटी भित्ति वाली, जीवित या मृत हो सकती हैं।
- सरल स्थायी ऊतक (Simple Permanent Tissues): ये एक ही प्रकार की कोशिकाओं से बने होते हैं।
- पैरेन्काइमा (Parenchyma): ये पौधे के अधिकांश भागों में पाए जाते हैं। इनकी कोशिकाएँ जीवित, पतली भित्ति वाली और ढीली रूप से व्यवस्थित होती हैं, जिनके बीच अंतरकोशिकीय स्थान पाया जाता है।
- कार्य: भोजन का भंडारण करना, प्रकाश संश्लेषण में मदद करना (क्लोरेन्काइमा में), जलीय पौधों में तैरने के लिए वायु कोटर प्रदान करना (एरेन्काइमा में), और सहारा प्रदान करना।
- कॉलेंकाइमा (Collenchyma): ये लचीलेपन वाले ऊतक होते हैं जो तने और पत्तियों को यांत्रिक सहारा प्रदान करते हैं। इनकी कोशिकाएँ जीवित, लंबी और अनियमित रूप से कोनों पर मोटी भित्ति वाली होती हैं। इनमें अंतरकोशिकीय स्थान बहुत कम होता है या अनुपस्थित होता है।
- कार्य: पौधों को यांत्रिक सहारा और लचीलापन प्रदान करना, जिससे वे आसानी से मुड़ सकें।
- स्क्लेरेन्काइमा (Sclerenchyma): ये कठोर और मजबूत ऊतक होते हैं जो पौधों को सहारा प्रदान करते हैं। इनकी कोशिकाएँ मृत होती हैं और इनकी भित्ति लिग्निन नामक पदार्थ के जमाव के कारण बहुत मोटी होती है। ये दो प्रकार की होती हैं: स्क्लेरेन्काइमा तंतु (फाइबर्स) और स्क्लेरेन्काइमा कोशिकाएँ (स्क्लेरेड्स)।
- कार्य: पौधों को कठोरता और मजबूती प्रदान करना। उदाहरण: नारियल के छिलके में।
- पैरेन्काइमा (Parenchyma): ये पौधे के अधिकांश भागों में पाए जाते हैं। इनकी कोशिकाएँ जीवित, पतली भित्ति वाली और ढीली रूप से व्यवस्थित होती हैं, जिनके बीच अंतरकोशिकीय स्थान पाया जाता है।
- जटिल स्थायी ऊतक (Complex Permanent Tissues): ये एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से बने होते हैं जो एक इकाई के रूप में मिलकर एक विशिष्ट कार्य करते हैं।
- जाइलम (Xylem): यह संवहन ऊतक है जो जड़ों से पानी और खनिजों को पौधे के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है। यह चार प्रकार के तत्वों से मिलकर बना होता है: वाहिनिकाएँ (Tracheids), वाहिकाएँ (Vessels), जाइलम पैरेन्काइमा और जाइलम तंतु। वाहिनिकाएँ और वाहिकाएँ मुख्य रूप से जल परिवहन का कार्य करती हैं और मृत कोशिकाएँ होती हैं। जाइलम पैरेन्काइमा भोजन का भंडारण करता है और जाइलम तंतु सहारा प्रदान करते हैं।
- कार्य: जल और खनिजों का ऊपर की ओर संवहन करना और पौधे को यांत्रिक सहारा प्रदान करना।
- फ्लोएम (Phloem): यह भी संवहन ऊतक है जो पत्तियों द्वारा तैयार किए गए भोजन को पौधे के अन्य भागों तक पहुँचाता है। यह चार प्रकार के तत्वों से मिलकर बना होता है: चालनी नलिकाएँ (Sieve Tubes), सहचर कोशिकाएँ (Companion Cells), फ्लोएम पैरेन्काइमा और फ्लोएम तंतु। चालनी नलिकाएँ मुख्य रूप से भोजन परिवहन का कार्य करती हैं और जीवित कोशिकाएँ होती हैं, लेकिन इनमें केंद्रक नहीं होता है। सहचर कोशिकाएँ चालनी नलिकाओं के कार्यों को नियंत्रित करती हैं। फ्लोएम पैरेन्काइमा भोजन का भंडारण करता है और फ्लोएम तंतु सहारा प्रदान करते हैं।
- कार्य: पत्तियों से भोजन को पौधे के अन्य भागों तक पहुँचाना (भोजन का स्थानांतरण)।
- जाइलम (Xylem): यह संवहन ऊतक है जो जड़ों से पानी और खनिजों को पौधे के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है। यह चार प्रकार के तत्वों से मिलकर बना होता है: वाहिनिकाएँ (Tracheids), वाहिकाएँ (Vessels), जाइलम पैरेन्काइमा और जाइलम तंतु। वाहिनिकाएँ और वाहिकाएँ मुख्य रूप से जल परिवहन का कार्य करती हैं और मृत कोशिकाएँ होती हैं। जाइलम पैरेन्काइमा भोजन का भंडारण करता है और जाइलम तंतु सहारा प्रदान करते हैं।
- सुरक्षात्मक ऊतक (Protective Tissues): ये पौधे के बाहरी भागों की रक्षा करते हैं।
- एपिडर्मिस (Epidermis): यह पौधे की सबसे बाहरी परत होती है। यह आमतौर पर एक कोशिका मोटी होती है और कोशिकाओं के बीच कोई अंतरकोशिकीय स्थान नहीं होता है। पत्तियों की एपिडर्मिस में छोटे-छोटे छिद्र पाए जाते हैं जिन्हें रंध्र (Stomata) कहते हैं, जो गैसों के आदान-प्रदान और वाष्पोत्सर्जन में मदद करते हैं। एपिडर्मिस एक मोमी परत क्यूटिकल (Cuticle) भी स्रावित कर सकती है जो पानी की हानि को कम करती है।
- कार्य: पौधे के आंतरिक भागों की रक्षा करना, पानी की हानि को कम करना, गैसों का आदान-प्रदान करना।
- कॉर्क (Cork): पुराने पेड़ों के तने और जड़ों की बाहरी सुरक्षात्मक परत एपिडर्मिस के स्थान पर कॉर्क बन जाती है। कॉर्क कोशिकाएँ मृत होती हैं और इनकी भित्ति पर सुबेरिन (Suberin) नामक पदार्थ जमा होता है, जो इसे जल और गैसों के लिए अभेद्य बनाता है।
- कार्य: पौधे को सुरक्षा प्रदान करना, पानी की हानि को रोकना, और यांत्रिक आघातों से बचाना।
- एपिडर्मिस (Epidermis): यह पौधे की सबसे बाहरी परत होती है। यह आमतौर पर एक कोशिका मोटी होती है और कोशिकाओं के बीच कोई अंतरकोशिकीय स्थान नहीं होता है। पत्तियों की एपिडर्मिस में छोटे-छोटे छिद्र पाए जाते हैं जिन्हें रंध्र (Stomata) कहते हैं, जो गैसों के आदान-प्रदान और वाष्पोत्सर्जन में मदद करते हैं। एपिडर्मिस एक मोमी परत क्यूटिकल (Cuticle) भी स्रावित कर सकती है जो पानी की हानि को कम करती है।
- सरल स्थायी ऊतक (Simple Permanent Tissues): ये एक ही प्रकार की कोशिकाओं से बने होते हैं।
- जंतुओं में ऊतक (Animal Tissues):
जंतुओं में मुख्य रूप से चार प्रकार के ऊतक पाए जाते हैं:
- उपकला ऊतक (Epithelial Tissue): यह ऊतक शरीर की बाहरी सतह, आंतरिक अंगों की परत और विभिन्न गुहाओं की परत बनाता है। इसकी कोशिकाएँ एक दूसरे से सटी हुई होती हैं और इनके बीच अंतरकोशिकीय स्थान बहुत कम होता है। यह एक आधार झिल्ली (basement membrane) पर स्थित होता है।
- शल्की उपकला (Squamous Epithelium): यह पतली और चपटी कोशिकाओं की एक परत होती है। यह उन स्थानों पर पाई जाती है जहाँ पदार्थों का तेजी से परिवहन होता है, जैसे फेफड़ों की वायु कोष्ठिकाएँ और रक्त वाहिकाओं की परत।
- कार्य: सुरक्षा और पदार्थों का परिवहन।
- स्तंभाकार उपकला (Columnar Epithelium): यह लंबी और स्तंभ के आकार की कोशिकाओं की एक परत होती है। यह आँतों की अंदरूनी परत में पाई जाती है और अवशोषण और स्राव में मदद करती है। इसकी स्वतंत्र सतह पर सूक्ष्म अंकुर (microvilli) हो सकते हैं जो अवशोषण क्षेत्र को बढ़ाते हैं।
- कार्य: अवशोषण और स्राव।
- घनाकार उपकला (Cuboidal Epithelium): यह घनाकार कोशिकाओं की एक परत होती है। यह वृक्क नलिकाओं और लार ग्रंथियों में पाई जाती है और स्राव और अवशोषण में मदद करती है।
- कार्य: स्राव और अवशोषण।
- ग्रंथिल उपकला (Glandular Epithelium): यह विशेष प्रकार की उपकला कोशिकाएँ होती हैं जो स्रावी ग्रंथियों का निर्माण करती हैं। ये एककोशिकीय (जैसे गोबलेट कोशिका) या बहुकोशिकीय हो सकती हैं और विभिन्न प्रकार के पदार्थों (जैसे हार्मोन, एंजाइम, बलगम) का स्राव करती हैं।
- कार्य: विभिन्न पदार्थों का स्राव करना।
- पक्ष्माभी उपकला (Ciliated Epithelium): यह स्तंभाकार या घनाकार कोशिकाओं की परत होती है जिनकी स्वतंत्र सतह पर छोटे बाल जैसी संरचनाएँ (पक्ष्माभ – cilia) पाई जाती हैं। पक्ष्माभ की लयबद्ध गति पदार्थों को एक निश्चित दिशा में धकेलती है। यह श्वास नली में बलगम को बाहर निकालने में मदद करती है।
- कार्य: पदार्थों को एक निश्चित दिशा में गति कराना।
- स्तरित उपकला (Stratified Epithelium): यह कई परतों में व्यवस्थित कोशिकाओं से बनी होती है। यह उन स्थानों पर पाई जाती है जहाँ अधिक घिसाव और टूट-फूट होती है, जैसे त्वचा।
- कार्य: सुरक्षा प्रदान करना।
- शल्की उपकला (Squamous Epithelium): यह पतली और चपटी कोशिकाओं की एक परत होती है। यह उन स्थानों पर पाई जाती है जहाँ पदार्थों का तेजी से परिवहन होता है, जैसे फेफड़ों की वायु कोष्ठिकाएँ और रक्त वाहिकाओं की परत।
- संयोजी ऊतक (Connective Tissue): यह ऊतक शरीर के विभिन्न अंगों और ऊतकों को आपस में जोड़ता है, सहारा देता है और उन्हें सहारा प्रदान करता है। इसकी कोशिकाओं के बीच अंतरकोशिकीय पदार्थ (मैट्रिक्स) पाया जाता है, जो ठोस, तरल या जेली जैसा हो सकता है।
- रक्त (Blood): यह तरल संयोजी ऊतक है जिसमें प्लाज्मा (तरल मैट्रिक्स), लाल रक्त कोशिकाएँ (RBCs), श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBCs) और प्लेटलेट्स होते हैं।
- कार्य: ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, पोषक तत्वों, हार्मोन और अपशिष्ट पदार्थों का परिवहन करना, शरीर की रक्षा करना (WBCs), और रक्त का थक्का जमाना (प्लेटलेट्स)।
- अस्थि (Bone): यह कठोर और मजबूत संयोजी ऊतक है जो कंकाल बनाता है और शरीर को सहारा देता है। इसकी मैट्रिक्स कैल्शियम और फॉस्फोरस से बनी होती है। अस्थि कोशिकाएँ (ऑस्टियोसाइट्स) मैट्रिक्स में धँसी होती हैं।
- कार्य: शरीर को सहारा देना, अंगों की रक्षा करना, और मांसपेशियों को जुड़ने के लिए स्थान प्रदान करना।
- उपास्थि (Cartilage): यह लचीला संयोजी ऊतक है जो हड्डियों के जोड़ों पर, नाक, कान और श्वास नली में पाया जाता है। इसकी मैट्रिक्स प्रोटीन और शर्करा से बनी होती है और उपास्थि कोशिकाएँ (कॉन्ड्रोसाइट्स) मैट्रिक्स में धँसी होती हैं।
- कार्य: अंगों को सहारा और लचीलापन प्रदान करना, हड्डियों के जोड़ों को चिकना बनाना।
- स्नायुबंधन (Ligament): यह रेशेदार संयोजी ऊतक है जो दो हड्डियों को आपस में जोड़ता है। यह बहुत लचीला और मजबूत होता है।
- कार्य: हड्डियों को आपस में जोड़ना और जोड़ों को स्थिरता प्रदान करना।
- कंडरा (Tendon): यह रेशेदार संयोजी ऊतक है जो मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ता है। यह मजबूत और लचीला होता है।
- कार्य: मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ना और गति में मदद करना।
- वसा ऊतक (Adipose Tissue): यह ऊतक त्वचा के नीचे और आंतरिक अंगों के चारों ओर पाया जाता है। इसकी कोशिकाएँ वसा की बड़ी बूंदों से भरी होती हैं।
- कार्य: वसा का भंडारण करना और शरीर को ऊर्जा प्रदान करना, ऊष्मा का कुचालक होने के कारण शरीर को गर्म रखना।
- एरोलर ऊतक (Areolar Tissue): यह व्यापक रूप से फैला हुआ संयोजी ऊतक है जो त्वचा और मांसपेशियों के बीच, रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं के चारों ओर पाया जाता है। इसमें मैट्रिक्स में तंतु (फाइबर्स) और कोशिकाएँ होती हैं।
- कार्य: अंगों को सहारा देना, ऊतकों की मरम्मत में मदद करना।
- रक्त (Blood): यह तरल संयोजी ऊतक है जिसमें प्लाज्मा (तरल मैट्रिक्स), लाल रक्त कोशिकाएँ (RBCs), श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBCs) और प्लेटलेट्स होते हैं।
- पेशी ऊतक (Muscular Tissue): यह ऊतक लंबी कोशिकाओं (पेशी तंतुओं) से बना होता है जो सिकुड़ने और फैलने की क्षमता रखते हैं, जिससे शरीर में गति होती है। इनमें विशेष प्रोटीन होते हैं जिन्हें संकुचनशील प्रोटीन (contractile proteins) कहते हैं।
- रेखित पेशी (Striated Muscle / Skeletal Muscle): ये पेशियाँ हड्डियों से जुड़ी होती हैं और शरीर की स्वैच्छिक गति (अपनी इच्छा से होने वाली गति) को नियंत्रित करती हैं। इनकी कोशिकाओं में धारियाँ (striations) दिखाई देती हैं और ये बहुकेंद्रकीय होती हैं।
- कार्य: स्वैच्छिक गति करना।
- अरेखित पेशी (Unstriated Muscle / Smooth Muscle): ये पेशियाँ आंतरिक अंगों (जैसे आहार नली, रक्त वाहिकाएँ) की दीवारों में पाई जाती हैं और अनैच्छिक गति (अपनी इच्छा के बिना होने वाली गति) को नियंत्रित करती हैं। इनकी कोशिकाओं में धारियाँ नहीं होती हैं और ये एककेंद्रकीय होती हैं।
- कार्य: अनैच्छिक गति करना।
- हृदय पेशी (Cardiac Muscle): यह पेशी केवल हृदय में पाई जाती है और हृदय की लयबद्ध संकुचन और शिथिलन (धड़कन) के लिए जिम्मेदार होती है। इसकी कोशिकाओं में धारियाँ होती हैं और ये शाखाओं वाली होती हैं और एककेंद्रकीय होती हैं। ये आपस में इंटरकैलेटेड डिस्क (intercalated discs) द्वारा जुड़ी होती हैं जो तेजी से संकुचन में मदद करती हैं।
- कार्य: हृदय का संकुचन और शिथिलन करना (हृदय गति)।
- रेखित पेशी (Striated Muscle / Skeletal Muscle): ये पेशियाँ हड्डियों से जुड़ी होती हैं और शरीर की स्वैच्छिक गति (अपनी इच्छा से होने वाली गति) को नियंत्रित करती हैं। इनकी कोशिकाओं में धारियाँ (striations) दिखाई देती हैं और ये बहुकेंद्रकीय होती हैं।
- तंत्रिका ऊतक (Nervous Tissue): यह ऊतक मस्तिष्क, मेरुरज्जु और तंत्रिकाओं में पाया जाता है। यह शरीर के विभिन्न भागों से सूचनाओं को प्राप्त करने, संसाधित करने और प्रसारित करने का कार्य करता है। इसकी मुख्य कोशिका न्यूरॉन (Neuron) या तंत्रिका कोशिका होती है।
- न्यूरॉन (Neuron): न्यूरॉन एक जटिल कोशिका है जिसके तीन मुख्य भाग होते हैं:
- कोशिका काय (Cell Body / Soma): इसमें केंद्रक और कोशिका अंगक होते हैं।
- द्रुमिकाएँ (Dendrites): ये छोटे, शाखाओं वाले प्रवर्ध होते हैं जो अन्य न्यूरॉनों से सूचना प्राप्त करते हैं।
- अक्षतंतु (Axon): यह एक लंबा प्रवर्ध होता है जो कोशिका काय से सूचना को दूर अन्य न्यूरॉनों या मांसपेशियों तक पहुँचाता है। अक्षतंतु के चारों ओर माइलिन शीथ (myelin sheath) नामक एक सुरक्षात्मक परत हो सकती है जो तंत्रिका आवेगों के संचरण की गति को बढ़ाती है।
- कार्य: शरीर के विभिन्न भागों से सूचनाओं को प्राप्त करना, उनका विश्लेषण करना और प्रतिक्रिया के रूप में आवेगों को प्रसारित करना, जिससे शरीर के कार्यों का समन्वय और नियंत्रण होता है।
- न्यूरॉन (Neuron): न्यूरॉन एक जटिल कोशिका है जिसके तीन मुख्य भाग होते हैं: