अध्याय 6: जंतुओं और पौधों में नियंत्रण एवं समन्वय

अध्याय 6: जंतुओं और पौधों में नियंत्रण एवं समन्वय

  • परिचय
  • जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय
    • तंत्रिका तंत्र
    • अंतःस्रावी तंत्र
  • तंत्रिका तंत्र
    • तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन
    • तंत्रिका आवेग
    • सिनैप्स
    • मानव तंत्रिका तंत्र
      • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र
        • मस्तिष्क
        • मेरुरज्जु
      • परिधीय तंत्रिका तंत्र
        • कायिक तंत्रिका तंत्र
        • स्वायत्त तंत्रिका तंत्र
          • अनुकंपी तंत्रिका तंत्र
          • परानुकंपी तंत्रिका तंत्र
  • प्रतिवर्ती क्रिया
    • प्रतिवर्ती चाप
    • उदाहरण
  • अंतःस्रावी तंत्र
    • हार्मोन
    • मानव अंतःस्रावी ग्रंथियाँ और उनके मुख्य हार्मोन
  • पौधों में नियंत्रण एवं समन्वय
    • पादप हार्मोन या फाइटोहोर्मोन
    • पौधों में गतियाँ
      • अनुवर्तन गतियाँ
      • कुकुंचन गतियाँ
  • सारांश
  • अतिरिक्त महत्वपूर्ण बिंदु

परिचय:

यह अध्याय हमें जीवित जीवों, विशेष रूप से जंतुओं और पौधों में विभिन्न गतिविधियों और कार्यों के नियंत्रण और समन्वय की प्रक्रियाओं के बारे में बताता है। यह नोट्स NCERT की पाठ्यपुस्तक और सहायक सामग्री पर आधारित हैं ताकि आपको विषय को आसानी से समझने में मदद मिल सके।

मुख्य विषय:

  1. जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय (Control and Coordination in Animals):
    • जंतुओं में नियंत्रण और समन्वय मुख्य रूप से दो प्रणालियों द्वारा प्राप्त किया जाता है:
      • तंत्रिका तंत्र (Nervous System): यह शरीर के विभिन्न हिस्सों के बीच त्वरित समन्वय स्थापित करता है।
      • अंतःस्रावी तंत्र (Endocrine System): यह रासायनिक संदेशवाहकों (हार्मोन) के माध्यम से धीमी गति से लेकिन व्यापक समन्वय स्थापित करता है।
  2. तंत्रिका तंत्र (Nervous System):
    • तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन (Neuron or Nerve Cell): यह तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाई है। इसके मुख्य भाग हैं:
      • कोशिका काय (Cell Body or Soma): इसमें केंद्रक और कोशिका द्रव्य होता है।
      • द्रुमिकाएँ (Dendrites): ये कोशिका काय से निकलने वाले छोटे, शाखित प्रवर्ध हैं जो सूचना (आवेग) प्राप्त करते हैं।
      • अक्षतंतु (Axon): यह कोशिका काय से निकलने वाला लंबा प्रवर्ध है जो सूचना को कोशिका काय से दूर दूसरे न्यूरॉन या प्रभावक अंग (जैसे मांसपेशी या ग्रंथि) तक पहुँचाता है।
      • अक्षतंतु अंत (Axon Terminal): अक्षतंतु के अंतिम सिरे जो अन्य न्यूरॉन या प्रभावक अंग से जुड़ते हैं।
      • माइलिन शीथ (Myelin Sheath): कुछ अक्षतंतुओं के चारों ओर एक वसायुक्त परत होती है जो तंत्रिका आवेग के संचरण की गति को बढ़ाती है।
    • तंत्रिका आवेग (Nerve Impulse): यह एक विद्युत-रासायनिक संकेत है जो एक न्यूरॉन के माध्यम से यात्रा करता है।
    • सिनैप्स (Synapse): यह दो न्यूरॉनों के बीच या एक न्यूरॉन और एक प्रभावक अंग के बीच का वह जंक्शन है जहाँ सूचना एक न्यूरॉन से दूसरे तक रासायनिक संदेशवाहकों (न्यूरोट्रांसमीटर) के माध्यम से स्थानांतरित होती है।
    • मानव तंत्रिका तंत्र (Human Nervous System): इसे दो मुख्य भागों में विभाजित किया गया है:
      • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System – CNS): इसमें मस्तिष्क (Brain) और मेरुरज्जु (Spinal Cord) शामिल हैं।
        • मस्तिष्क (Brain): यह शरीर का केंद्रीय सूचना प्रसंस्करण अंग है। इसके तीन मुख्य भाग हैं:
          • अग्रमस्तिष्क (Forebrain): यह मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग है और इसमें प्रमस्तिष्क (Cerebrum), थैलेमस (Thalamus) और हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) शामिल हैं। प्रमस्तिष्क सोचने, सीखने, याददाश्त, भावनाओं और स्वैच्छिक क्रियाओं का केंद्र है। थैलेमस संवेदी और प्रेरक संकेतों का रिले केंद्र है। हाइपोथैलेमस शरीर के तापमान, भूख, प्यास और हार्मोन के स्त्राव को नियंत्रित करता है।
          • मध्यमस्तिष्क (Midbrain): यह अग्र और पश्च मस्तिष्क को जोड़ता है और कुछ प्रतिवर्ती क्रियाओं और संवेदी सूचनाओं के प्रसंस्करण में शामिल है।
          • पश्चमस्तिष्क (Hindbrain): इसमें अनुमस्तिष्क (Cerebellum), पॉन्स (Pons) और मज्जा (Medulla Oblongata) शामिल हैं। अनुमस्तिष्क शरीर के संतुलन और समन्वय को बनाए रखता है। पॉन्स श्वसन और नींद चक्र को नियंत्रित करता है। मज्जा अनैच्छिक क्रियाओं (जैसे हृदय गति, श्वसन, रक्तचाप) को नियंत्रित करता है।
        • मेरुरज्जु (Spinal Cord): यह मस्तिष्क के मज्जा से शुरू होकर रीढ़ की हड्डी के भीतर नीचे तक जाती है। यह मस्तिष्क और शरीर के बाकी हिस्सों के बीच सूचना का मुख्य मार्ग है और प्रतिवर्ती क्रियाओं (Reflex Actions) में भी शामिल है।
      • परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System – PNS): इसमें वे सभी तंत्रिकाएँ शामिल हैं जो मस्तिष्क और मेरुरज्जु से शरीर के विभिन्न हिस्सों तक फैली होती हैं। इसे आगे दो भागों में विभाजित किया गया है:
        • कायिक तंत्रिका तंत्र (Somatic Nervous System): यह कंकाल की मांसपेशियों की स्वैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है।
        • स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (Autonomic Nervous System): यह आंतरिक अंगों और ग्रंथियों की अनैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है। इसके दो भाग हैं:
          • अनुकंपी तंत्रिका तंत्र (Sympathetic Nervous System): यह आपातकालीन स्थितियों (“लड़ो या भागो” प्रतिक्रिया) के दौरान शरीर को तैयार करता है।
          • परानुकंपी तंत्रिका तंत्र (Parasympathetic Nervous System): यह सामान्य और शांत स्थितियों के दौरान शरीर के कार्यों को बनाए रखता है।
  3. प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action):
    • यह एक तेज, स्वचालित और अनैच्छिक प्रतिक्रिया है जो किसी उत्तेजना के प्रति होती है। इसमें मस्तिष्क की भागीदारी आवश्यक नहीं होती है।
    • प्रतिवर्ती चाप (Reflex Arc): वह मार्ग है जिसका अनुसरण एक प्रतिवर्ती क्रिया के दौरान तंत्रिका आवेग करता है। इसमें शामिल हैं:
      • संवेदी ग्राही (Sensory Receptor)
      • संवेदी न्यूरॉन (Sensory Neuron)
      • अंतरन्यूरॉन (Relay Neuron) (कुछ प्रतिवर्ती क्रियाओं में)
      • प्रेरक न्यूरॉन (Motor Neuron)
      • प्रभावक (Effector – मांसपेशी या ग्रंथि)
    • उदाहरण: गर्म वस्तु को छूने पर तुरंत हाथ हटा लेना, छींकना, पलक झपकना।
  4. अंतःस्रावी तंत्र (Endocrine System):
    • यह ग्रंथियों का एक जाल है जो हार्मोन नामक रासायनिक संदेशवाहकों को सीधे रक्त में स्त्रावित करता है।
    • हार्मोन (Hormones): ये रासायनिक पदार्थ हैं जो शरीर के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित और समन्वित करते हैं। ये लक्ष्य कोशिकाओं या अंगों पर विशिष्ट रिसेप्टर्स से बंधकर कार्य करते हैं।
    • मानव अंतःस्रावी ग्रंथियाँ (Human Endocrine Glands) और उनके मुख्य हार्मोन:
      • पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland): इसे “मास्टर ग्रंथि” भी कहा जाता है क्योंकि यह कई अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों के कार्यों को नियंत्रित करती है। यह वृद्धि हार्मोन (Growth Hormone), प्रोलैक्टिन (Prolactin), थायरॉइड-उत्तेजक हार्मोन (TSH), एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (ACTH), फॉलिकल-उत्तेजक हार्मोन (FSH), ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH), ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) और वैसोप्रेसिन (Vasopressin) स्त्रावित करती है।
      • थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid Gland): यह गर्दन में स्थित होती है और थायरोक्सिन (Thyroxine) हार्मोन स्त्रावित करती है जो उपापचय (Metabolism) को नियंत्रित करता है। आयोडीन थायरोक्सिन के उत्पादन के लिए आवश्यक है।
      • पैराथायरॉइड ग्रंथियाँ (Parathyroid Glands): ये थायरॉइड ग्रंथि के पीछे स्थित छोटी ग्रंथियाँ हैं और पैराथायरॉइड हार्मोन (Parathyroid Hormone) स्त्रावित करती हैं जो रक्त में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करता है।
      • अधिवृक्क ग्रंथियाँ (Adrenal Glands): ये प्रत्येक वृक्क के ऊपर स्थित होती हैं और एड्रेनालाईन (Adrenaline) (तनाव प्रतिक्रिया में मदद करता है) और कॉर्टिकॉइड्स (Corticoids) (उपापचय, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया आदि को नियंत्रित करते हैं) हार्मोन स्त्रावित करती हैं।
      • अग्न्याशय (Pancreas): यह एक मिश्रित ग्रंथि है (बहिःस्रावी और अंतःस्रावी दोनों)। इसकी अंतःस्रावी कोशिकाएँ इंसुलिन (Insulin) (रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है) और ग्लूकैगोन (Glucagon) (रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है) हार्मोन स्त्रावित करती हैं।
      • जनद (Gonads):
        • अंडाशय (Ovaries) (मादा): ये एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) हार्मोन स्त्रावित करते हैं जो मादा यौन विकास और प्रजनन कार्यों को नियंत्रित करते हैं।
        • वृषण (Testes) (नर): ये टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) हार्मोन स्त्रावित करते हैं जो नर यौन विकास और प्रजनन कार्यों को नियंत्रित करता है।
  5. पौधों में नियंत्रण एवं समन्वय (Control and Coordination in Plants):
    • पौधों में तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी तंत्र अनुपस्थित होते हैं। उनमें समन्वय मुख्य रूप से रासायनिक समन्वय (पादप हार्मोन या फाइटोहोर्मोन) और कुछ तात्कालिक गतियों के माध्यम से होता है।
    • पादप हार्मोन या फाइटोहोर्मोन (Plant Hormones or Phytohormones): ये रासायनिक यौगिक हैं जो पौधों की वृद्धि, विकास और पर्यावरण के प्रति प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। कुछ मुख्य पादप हार्मोन हैं:
      • ऑक्सिन (Auxin): यह कोशिका दीर्घीकरण (Cell Elongation) को बढ़ावा देता है, प्ररोह की वृद्धि (Shoot Growth), जड़ की वृद्धि (Root Growth) (कम सांद्रता में), फलों का विकास और प्ररोह का अग्रभाग (Apical Dominance) (पार्श्व शाखाओं की वृद्धि को रोकता है) को नियंत्रित करता है।
      • जिब्बेरेलिन (Gibberellin): यह तने के दीर्घीकरण (Stem Elongation), बीजों के अंकुरण (Seed Germination) और फलों के विकास को बढ़ावा देता है।
      • साइटोकिनिन (Cytokinin): यह कोशिका विभाजन (Cell Division) को बढ़ावा देता है, पार्श्व कलिकाओं की वृद्धि (Growth of Lateral Buds) को प्रोत्साहित करता है और पत्तियों के जीर्णता (Senescence) को रोकता है।
      • एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid – ABA): इसे तनाव हार्मोन (Stress Hormone) भी कहा जाता है। यह पत्तियों के मुरझाने (Wilting of Leaves), रंध्रों के बंद होने (Closure of Stomata) और बीजों के अंकुरण को रोकता है। यह वृद्धि निरोधी हार्मोन है।
      • एथिलीन (Ethylene): यह एक गैसीय हार्मोन है जो फलों के पकने (Ripening of Fruits) को बढ़ावा देता है और पत्तियों और फूलों के झड़ने (Abscission) को प्रेरित करता है।
    • पौधों में गतियाँ (Movements in Plants): पौधों में दो प्रकार की गतियाँ देखी जाती हैं:
      • अनुवर्तन गतियाँ (Tropic Movements): ये दिशात्मक गतियाँ होती हैं जो किसी उद्दीपन की दिशा में या उससे दूर होती हैं। ये वृद्धि पर निर्भर करती हैं।
        • प्रकाशानुवर्तन (Phototropism): प्ररोह का प्रकाश की ओर मुड़ना (धनात्मक) और जड़ का प्रकाश से दूर मुड़ना (ऋणात्मक)। ऑक्सिन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
        • गुरुत्वानुवर्तन (Geotropism): जड़ का पृथ्वी की ओर बढ़ना (धनात्मक) और प्ररोह का पृथ्वी से दूर बढ़ना (ऋणात्मक)। गुरुत्वाकर्षण उद्दीपन है।
        • रसायनानुवर्तन (Chemotropism): रासायनिक उद्दीपन के प्रति गति (जैसे पराग नलिका का अंडाशय की ओर बढ़ना)।
        • जलानुवर्तन (Hydrotropism): जल की ओर गति (जड़ें जल की ओर बढ़ती हैं)।
        • स्पर्शानुवर्तन (Thigmotropism): स्पर्श के प्रति गति (जैसे लता का किसी सहारे से लिपट जाना)।
      • कुकुंचन गतियाँ (Nastic Movements): ये अदिशात्मक गतियाँ होती हैं जो उद्दीपन की दिशा पर निर्भर नहीं करती हैं। ये वृद्धि पर निर्भर नहीं करती हैं।
        • प्रकाशकुकुंचन (Photonasty): प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन के कारण गति (जैसे सूरजमुखी के फूल का दिन में खुलना और रात में बंद होना)।
        • तापानुकुंचन (Thermonasty): तापमान में परिवर्तन के कारण गति (जैसे ट्यूलिप के फूल का उच्च तापमान पर खुलना और कम तापमान पर बंद होना)।
        • स्पर्शानुकुंचन (Thigmonasty) या कंपनुकुंचन (Seismonasty): स्पर्श या कंपन के प्रति गति (जैसे छुईमुई के पौधे की पत्तियों का छूने पर सिकुड़ जाना)।

सारांश:

इस अध्याय में हमने जंतुओं और पौधों में नियंत्रण और समन्वय की विभिन्न प्रक्रियाओं का अध्ययन किया। जंतुओं में तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी तंत्र मिलकर शरीर के कार्यों को नियंत्रित और समन्वित करते हैं। तंत्रिका तंत्र त्वरित प्रतिक्रियाओं के लिए जिम्मेदार है, जबकि अंतःस्रावी तंत्र हार्मोन के माध्यम से धीमी लेकिन व्यापक प्रभाव डालता है। पौधों में रासायनिक समन्वय (पादप हार्मोन) और विभिन्न प्रकार की गतियाँ (अनुवर्तन और कुकुंचन) उन्हें पर्यावरण के प्रति प्रतिक्रिया करने और वृद्धि करने में मदद करती हैं।

अतिरिक्त महत्वपूर्ण बिंदु:

  • हार्मोन का संतुलन शरीर के सामान्य कामकाज के लिए आवश्यक है। हार्मोन की कमी या अधिकता से विभिन्न विकार हो सकते हैं।
  • पौधों में गतियाँ उन्हें अनुकूल परिस्थितियों में बढ़ने और जीवित रहने में मदद करती हैं।

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