अध्याय 7: गति 

ध्याय 7: गति 

विषय सूची:

  1. गति क्या है?
    • परिभाषा
    • विराम और गति
    • गति के प्रकार
      • सरल रेखीय गति
      • वृत्तीय गति
      • दोलन गति
  2. गति का वर्णन
    • दूरी और विस्थापन (Distance and Displacement)
    • चाल और वेग (Speed and Velocity)
      • औसत चाल और औसत वेग
      • एकसमान चाल और असमान चाल
      • एकसमान वेग और असमान वेग
    • त्वरण (Acceleration)
  3. ग्राफिकल निरूपण (Graphical Representation of Motion)
    • दूरी-समय ग्राफ (Distance-Time Graph)
      • स्थिर वस्तु
      • एकसमान चाल
      • असमान चाल
    • वेग-समय ग्राफ (Velocity-Time Graph)
      • स्थिर वेग
      • एकसमान त्वरण
      • असमान त्वरण
  4. गति के समीकरण (Equations of Motion)
    • ग्राफीय विधि से गति के समीकरणों का निगमन
      • प्रथम समीकरण: v=u+at
      • द्वितीय समीकरण: s=ut+21​at2
      • तृतीय समीकरण: v2=u2+2as
  5. एकसमान वृत्तीय गति (Uniform Circular Motion)
    • परिभाषा
    • वेग की दिशा में परिवर्तन
    • त्वरण
    • उदाहरण

विस्तृत नोट्स:

  1. गति क्या है?
  • परिभाषा: जब कोई वस्तु समय के साथ अपनी स्थिति बदलती है, तो उसे गति में कहा जाता है।
  • विराम और गति: कोई वस्तु किसी स्थिर संदर्भ बिंदु के सापेक्ष अपनी स्थिति नहीं बदलती है तो वह विराम अवस्था में कहलाती है। यदि वह अपनी स्थिति बदलती है तो वह गति अवस्था में कहलाती है। विराम और गति सापेक्षिक अवधारणाएँ हैं, जिसका अर्थ है कि किसी वस्तु की अवस्था पर्यवेक्षक के संदर्भ पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, बस में बैठा हुआ व्यक्ति अपने साथी यात्रियों के सापेक्ष विराम अवस्था में है, लेकिन सड़क के किनारे खड़े व्यक्ति के सापेक्ष गति अवस्था में है।
  • गति के प्रकार:
    • सरल रेखीय गति (Rectilinear Motion): जब कोई वस्तु एक सीधी रेखा में गति करती है, तो उसकी गति सरल रेखीय गति कहलाती है। उदाहरण: सीधी सड़क पर चलती हुई कार, ऊपर से गिरता हुआ पत्थर।
    • वृत्तीय गति (Circular Motion): जब कोई वस्तु एक वृत्ताकार पथ पर गति करती है, तो उसकी गति वृत्तीय गति कहलाती है। उदाहरण: सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति, झूले में बैठे बच्चे की गति।
    • दोलन गति (Oscillatory Motion): जब कोई वस्तु एक निश्चित बिंदु के आगे-पीछे या ऊपर-नीचे आवर्ती रूप से गति करती है, तो उसकी गति दोलन गति कहलाती है। उदाहरण: झूले की गति, घड़ी के पेंडुलम की गति। इस अध्याय में हम मुख्य रूप से सरल रेखीय गति का अध्ययन करेंगे।
  1. गति का वर्णन:

गति का वर्णन करने के लिए हम कुछ भौतिक राशियों का उपयोग करते हैं:

  • दूरी और विस्थापन (Distance and Displacement):
    • दूरी (Distance): किसी वस्तु द्वारा तय किए गए वास्तविक पथ की लंबाई को दूरी कहते हैं। यह एक अदिश राशि (scalar quantity) है, जिसका अर्थ है कि इसमें केवल परिमाण (magnitude) होता है, कोई दिशा नहीं होती। इसका SI मात्रक मीटर (m) है।
    • विस्थापन (Displacement): किसी वस्तु की प्रारंभिक स्थिति और अंतिम स्थिति के बीच की सीधी लघुत्तम दूरी को विस्थापन कहते हैं। इसमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं, इसलिए यह एक सदिश राशि (vector quantity) है। इसका SI मात्रक भी मीटर (m) है।
    • अंतर: दूरी तय किए गए पूरे रास्ते की लंबाई होती है, जबकि विस्थापन प्रारंभिक और अंतिम स्थिति के बीच की सीधी दूरी होती है। गतिमान वस्तु के लिए दूरी कभी भी शून्य नहीं हो सकती (यदि गति हो रही है), जबकि विस्थापन शून्य हो सकता है (यदि वस्तु घूमकर वापस प्रारंभिक स्थिति पर आ जाए)। दूरी हमेशा विस्थापन के परिमाण से बड़ी या उसके बराबर होती है।
  • चाल और वेग (Speed and Velocity):
    • चाल (Speed): किसी वस्तु द्वारा इकाई समय में तय की गई दूरी को चाल कहते हैं। यह एक अदिश राशि है। चाल=लिया गया समयतय की गई दूरी​ इसका SI मात्रक मीटर प्रति सेकंड (m/s) है।
    • वेग (Velocity): किसी वस्तु द्वारा इकाई समय में तय किए गए विस्थापन को वेग कहते हैं। यह एक सदिश राशि है। इसमें परिमाण (चाल) और दिशा दोनों होते हैं। वेग=लिया गया समयविस्थापन​ इसका SI मात्रक भी मीटर प्रति सेकंड (m/s) है।
    • औसत चाल (Average Speed): किसी वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी को लिए गए कुल समय से भाग देने पर औसत चाल प्राप्त होती है। औसत चाल=कुल समयकुल दूरी​
    • औसत वेग (Average Velocity): किसी वस्तु के कुल विस्थापन को लिए गए कुल समय से भाग देने पर औसत वेग प्राप्त होता है। यदि वेग समय के साथ एकसमान रूप से बदल रहा है, तो औसत वेग प्रारंभिक वेग (u) और अंतिम वेग (v) के अंकगणितीय माध्य के बराबर होता है: औसत वेग=2u+v​
    • एकसमान चाल (Uniform Speed): यदि कोई वस्तु समान समय अंतरालों में समान दूरी तय करती है, तो उसकी चाल एकसमान कहलाती है।
    • असमान चाल (Non-Uniform Speed): यदि कोई वस्तु समान समय अंतरालों में असमान दूरी तय करती है, तो उसकी चाल असमान कहलाती है।
    • एकसमान वेग (Uniform Velocity): यदि किसी वस्तु का वेग समय के साथ परिमाण और दिशा दोनों में स्थिर रहता है, तो उसका वेग एकसमान कहलाता है। इसका मतलब है कि वस्तु एक सीधी रेखा में स्थिर चाल से गति कर रही है।
    • असमान वेग (Non-Uniform Velocity): यदि किसी वस्तु का वेग समय के साथ परिमाण या दिशा या दोनों में बदलता है, तो उसका वेग असमान कहलाता है।
  • त्वरण (Acceleration): किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। यह एक सदिश राशि है। त्वरण(a)=लिया गया समयवेग में परिवर्तन​=समय(t)अंतिम वेग(v)−प्रारंभिक वेग(u)​ इसका SI मात्रक मीटर प्रति सेकंड वर्ग (m/s²) है।
    • यदि त्वरण धनात्मक है, तो इसका मतलब है कि वेग बढ़ रहा है।
    • यदि त्वरण ऋणात्मक है, तो इसे मंदन (retardation) या अवमंदन (deceleration) कहते हैं, जिसका मतलब है कि वेग घट रहा है।
    • यदि वेग स्थिर है (वेग में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है), तो त्वरण शून्य होता है।
    • एकसमान त्वरण (Uniform Acceleration): यदि किसी वस्तु का वेग समान समय अंतरालों में समान रूप से बदलता है, तो उसका त्वरण एकसमान कहलाता है।
    • असमान त्वरण (Non-Uniform Acceleration): यदि किसी वस्तु का वेग समान समय अंतरालों में असमान रूप से बदलता है, तो उसका त्वरण असमान कहलाता है।
  1. ग्राफिकल निरूपण (Graphical Representation of Motion):

गति को ग्राफिक रूप से दर्शाने से हमें इसकी प्रकृति को समझने में आसानी होती है।

  • दूरी-समय ग्राफ (Distance-Time Graph): इस ग्राफ में समय को x-अक्ष पर और दूरी को y-अक्ष पर दर्शाया जाता है।
    • स्थिर वस्तु: यदि वस्तु स्थिर है, तो दूरी-समय ग्राफ समय अक्ष के समानांतर एक सीधी रेखा होगी।
    • एकसमान चाल: यदि वस्तु एकसमान चाल से गति कर रही है, तो दूरी-समय ग्राफ एक सीधी तिरछी रेखा होगी। इस रेखा का ढलान (slope) वस्तु की चाल को दर्शाता है।
    • असमान चाल: यदि वस्तु असमान चाल से गति कर रही है, तो दूरी-समय ग्राफ एक वक्र रेखा होगी।
  • वेग-समय ग्राफ (Velocity-Time Graph): इस ग्राफ में समय को x-अक्ष पर और वेग को y-अक्ष पर दर्शाया जाता है।
    • स्थिर वेग: यदि वस्तु स्थिर वेग से गति कर रही है, तो वेग-समय ग्राफ समय अक्ष के समानांतर एक सीधी रेखा होगी।
    • एकसमान त्वरण: यदि वस्तु एकसमान त्वरण से गति कर रही है, तो वेग-समय ग्राफ एक सीधी तिरछी रेखा होगी। इस रेखा का ढलान वस्तु के त्वरण को दर्शाता है। वेग-समय ग्राफ के नीचे का क्षेत्र (area under the graph) वस्तु द्वारा तय किए गए विस्थापन के परिमाण को दर्शाता है।
    • असमान त्वरण: यदि वस्तु असमान त्वरण से गति कर रही है, तो वेग-समय ग्राफ एक वक्र रेखा होगी।
  1. गति के समीकरण (Equations of Motion):

यदि कोई वस्तु एक सीधी रेखा में एकसमान त्वरण से गति कर रही है, तो उसकी गति को तीन समीकरणों द्वारा दर्शाया जा सकता है:

  • प्रथम समीकरण: यह समीकरण अंतिम वेग (v), प्रारंभिक वेग (u), त्वरण (a) और समय (t) के बीच संबंध स्थापित करता है। v=u+at
  • द्वितीय समीकरण: यह समीकरण तय की गई दूरी (s), प्रारंभिक वेग (u), त्वरण (a) और समय (t) के बीच संबंध स्थापित करता है। s=ut+21​at2
  • तृतीय समीकरण: यह समीकरण अंतिम वेग (v), प्रारंभिक वेग (u), त्वरण (a) और तय की गई दूरी (s) के बीच संबंध स्थापित करता है। v2=u2+2as

ग्राफीय विधि से गति के समीकरणों का निगमन:

हम वेग-समय ग्राफ का उपयोग करके इन समीकरणों को व्युत्पन्न कर सकते हैं जब वस्तु एकसमान त्वरण से गति कर रही हो।

  • प्रथम समीकरण:
    • वेग-समय ग्राफ में एक सीधी रेखा AB लें, जहाँ प्रारंभिक वेग OA = u, अंतिम वेग BC = v, और समय OC = t है।
    • त्वरण, ग्राफ की ढलान द्वारा दिया जाता है: a=समय में परिवर्तनवेग में परिवर्तन​=OCBC−AD​=tv−u​
    • इसलिए, a=tv−u​, जिससे v=u+at प्राप्त होता है।
  • द्वितीय समीकरण:
    • तय की गई दूरी वेग-समय ग्राफ के नीचे के क्षेत्र द्वारा दी जाती है। इस क्षेत्र को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है: आयत OADC और त्रिभुज ABD।
    • आयत OADC का क्षेत्रफल = OA × OC = u × t = ut
    • त्रिभुज ABD का क्षेत्रफल = 21​×आधार×ऊँचाई=21​×AD×BD=21​×t×(v−u)
    • चूँकि v=u+at, तो v−u=at
    • इसलिए, त्रिभुज ABD का क्षेत्रफल = 21​×t×at=21​at2
    • कुल दूरी s = आयत OADC का क्षेत्रफल + त्रिभुज ABD का क्षेत्रफल = ut+21​at2
  • तृतीय समीकरण:
    • वेग-समय ग्राफ के नीचे का क्षेत्र एक समलंब चतुर्भुज OABC का क्षेत्रफल भी है।
    • समलंब चतुर्भुज OABC का क्षेत्रफल = 21​×(समांतर भुजाओं का योग)×ऊँचाई=21​×(OA+BC)×OC=21​×(u+v)×t
    • प्रथम समीकरण से, t=av−u​
    • इसलिए, s=21​×(u+v)×av−u​=2av2−u2​
    • जिससे v2=u2+2as प्राप्त होता है।
  1. एकसमान वृत्तीय गति (Uniform Circular Motion):
  • परिभाषा: जब कोई वस्तु एक वृत्ताकार पथ पर स्थिर चाल से गति करती है, तो उसकी गति एकसमान वृत्तीय गति कहलाती है।
  • वेग की दिशा में परिवर्तन: वृत्तीय गति में वस्तु की चाल तो स्थिर रहती है, लेकिन उसकी वेग की दिशा लगातार बदलती रहती है। वेग एक सदिश राशि है, इसलिए दिशा में परिवर्तन होने के कारण वेग में परिवर्तन होता है।
  • त्वरण: वेग में परिवर्तन होने के कारण वृत्तीय गति में त्वरण होता है। इस त्वरण की दिशा हमेशा वृत्त के केंद्र की ओर होती है, इसलिए इसे अभिकेन्द्रीय त्वरण (centripetal acceleration) कहते हैं।
  • उदाहरण:
    • सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति (लगभग)
    • चंद्रमा के चारों ओर कृत्रिम उपग्रह की गति
    • एक डोरी से बंधे पत्थर को वृत्ताकार पथ पर घुमाना

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