अध्याय 8: बल तथा गति के नियम

अध्याय 8: बल तथा गति के नियम –

विषय सूची:

  1. बल (Force)
    • परिभाषा
    • बल के प्रभाव
    • संतुलित और असंतुलित बल
  2. गति का पहला नियम (Newton’s First Law of Motion)
    • जड़त्व (Inertia)
    • द्रव्यमान और जड़त्व
  3. गति का दूसरा नियम (Newton’s Second Law of Motion)
    • संवेग (Momentum)
    • बल और संवेग में परिवर्तन की दर
    • बल का गणितीय रूप
    • बल का मात्रक
  4. गति का तीसरा नियम (Newton’s Third Law of Motion)
    • क्रिया और प्रतिक्रिया बल
    • क्रिया और प्रतिक्रिया बल की प्रकृति
  5. संवेग संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Momentum)
    • परिभाषा
    • नियम का गणितीय रूप
    • दैनिक जीवन में अनुप्रयोग

विस्तृत नोट्स:

  1. बल (Force):
  • परिभाषा: बल वह धक्का या खिंचाव है जो किसी वस्तु की विराम अवस्था या गति की अवस्था में परिवर्तन लाता है या परिवर्तन लाने की कोशिश करता है।
  • बल के प्रभाव: बल किसी वस्तु पर निम्नलिखित प्रभाव डाल सकता है:
    • यह स्थिर वस्तु को गति में ला सकता है। उदाहरण: गेंद को धक्का देना।
    • यह गतिशील वस्तु की गति को बढ़ा या घटा सकता है। उदाहरण: साइकिल में ब्रेक लगाना या पैडल मारना।
    • यह गतिशील वस्तु की दिशा बदल सकता है। उदाहरण: फुटबॉल को किक मारकर उसकी दिशा बदलना।
    • यह वस्तु का आकार या आकृति बदल सकता है। उदाहरण: गुब्बारे को दबाना या स्प्रिंग को खींचना।
  • संतुलित और असंतुलित बल:
    • संतुलित बल (Balanced Forces): यदि किसी वस्तु पर लगने वाले सभी बलों का परिणामी बल शून्य हो, तो वे बल संतुलित बल कहलाते हैं। संतुलित बल किसी स्थिर वस्तु को गति में नहीं ला सकते और न ही किसी गतिशील वस्तु की गति में परिवर्तन कर सकते हैं। ये केवल वस्तु का आकार या आकृति बदल सकते हैं। उदाहरण: एक मेज पर रखी पुस्तक पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल और मेज द्वारा लगाया गया प्रतिक्रिया बल।
    • असंतुलित बल (Unbalanced Forces): यदि किसी वस्तु पर लगने वाले सभी बलों का परिणामी बल शून्य न हो, तो वे बल असंतुलित बल कहलाते हैं। असंतुलित बल किसी स्थिर वस्तु को गति में ला सकते हैं और किसी गतिशील वस्तु की गति में परिवर्तन (चाल या दिशा में परिवर्तन) कर सकते हैं। उदाहरण: चलती हुई गेंद पर पैर से किक मारना।
  1. गति का पहला नियम (Newton’s First Law of Motion):
  • कथन: प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी असंतुलित बल न लगाया जाए।
  • व्याख्या: यह नियम बताता है कि वस्तुएँ अपनी अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती हैं। यदि कोई वस्तु स्थिर है, तो वह स्थिर ही रहना चाहती है, और यदि कोई वस्तु गति कर रही है, तो वह उसी दिशा में उसी चाल से गति करती रहना चाहती है जब तक कि कोई बाहरी बल उसे रोकने या उसकी गति में परिवर्तन करने के लिए कार्य न करे।
  • जड़त्व (Inertia): किसी वस्तु का वह प्राकृतिक गुण जो उसकी विराम अवस्था या एकसमान गति की अवस्था में किसी भी परिवर्तन का विरोध करता है, जड़त्व कहलाता है।
  • द्रव्यमान और जड़त्व: किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व का माप है। भारी वस्तुओं का जड़त्व अधिक होता है, जिसका अर्थ है कि उनकी अवस्था में परिवर्तन करना कठिन होता है। हल्की वस्तुओं का जड़त्व कम होता है, इसलिए उनकी अवस्था में परिवर्तन करना आसान होता है। उदाहरण: एक खाली बॉक्स को धक्का देना एक भरे हुए बॉक्स को धक्का देने की तुलना में आसान है क्योंकि भरे हुए बॉक्स का द्रव्यमान अधिक होता है और इसलिए उसका जड़त्व भी अधिक होता है।
  1. गति का दूसरा नियम (Newton’s Second Law of Motion):
  • संवेग (Momentum): किसी वस्तु का संवेग उसके द्रव्यमान (mass) और वेग (velocity) का गुणनफल होता है। इसे ‘p’ से दर्शाया जाता है। संवेग(p)=द्रव्यमान(m)×वेग(v) संवेग एक सदिश राशि है, जिसकी दिशा वस्तु के वेग की दिशा में होती है। इसका SI मात्रक किलोग्राम मीटर प्रति सेकंड (kg m/s) है।
  • बल और संवेग में परिवर्तन की दर: गति का दूसरा नियम बताता है कि किसी वस्तु पर लगाया गया असंतुलित बल उस वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर के अनुक्रमानुपाती (directly proportional) होता है और यह परिवर्तन बल की दिशा में होता है।
  • बल का गणितीय रूप: यदि किसी वस्तु पर बल ‘F’ लगाने पर उसके संवेग में ‘Δp’ परिवर्तन ‘Δt’ समय में होता है, तो गति के दूसरे नियम के अनुसार: F∝ΔtΔp​ चूँकि संवेग p=mv, यदि द्रव्यमान स्थिर है, तो संवेग में परिवर्तन Δp=mΔv=m(v−u) होगा। इसलिए, F∝Δtm(v−u)​ चूँकि त्वरण a=Δtv−u​, हम लिख सकते हैं: F∝ma समानुपातिकता स्थिरांक को 1 लेने पर, हमें बल का गणितीय रूप प्राप्त होता है: F=ma जहाँ:
    • F = बल (Force)
    • m = द्रव्यमान (mass)
    • a = त्वरण (acceleration)
  • बल का मात्रक: बल का SI मात्रक न्यूटन (Newton) है, जिसे ‘N’ से दर्शाया जाता है। 1 न्यूटन वह बल है जो 1 किलोग्राम द्रव्यमान की वस्तु में 1 मीटर प्रति सेकंड वर्ग का त्वरण उत्पन्न करता है। 1N=1kg×1m/s2=1kgm/s2
  1. गति का तीसरा नियम (Newton’s Third Law of Motion):
  • कथन: प्रत्येक क्रिया के लिए एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
  • व्याख्या: जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है, तो दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर उतना ही परिमाण का बल विपरीत दिशा में लगाती है। पहले बल को क्रिया (action) और दूसरे बल को प्रतिक्रिया (reaction) कहते हैं।
  • क्रिया और प्रतिक्रिया बल की प्रकृति:
    • क्रिया और प्रतिक्रिया बल हमेशा दो अलग-अलग वस्तुओं पर लगते हैं। एक ही वस्तु पर लगने वाले बल कभी भी क्रिया और प्रतिक्रिया बल नहीं हो सकते।
    • क्रिया और प्रतिक्रिया बल परिमाण में बराबर और दिशा में विपरीत होते हैं।
    • क्रिया और प्रतिक्रिया बल एक साथ उत्पन्न होते हैं और एक साथ समाप्त होते हैं।
  • उदाहरण:
    • जब हम जमीन पर चलते हैं, तो हम अपने पैरों से जमीन को पीछे की ओर धकेलते हैं (क्रिया)। प्रतिक्रिया के रूप में जमीन हमें आगे की ओर धकेलती है, जिससे हम चल पाते हैं।
    • जब एक नाव से कोई व्यक्ति किनारे पर कूदता है, तो वह नाव को पीछे की ओर धकेलता है (क्रिया), और प्रतिक्रिया के रूप में नाव उसे आगे की ओर धकेलती है, जिससे वह किनारे पर पहुँच पाता है।
    • बंदूक से गोली चलाने पर, बंदूक गोली पर आगे की ओर बल लगाती है (क्रिया), और गोली बंदूक पर पीछे की ओर समान परिमाण का बल लगाती है (प्रतिक्रिया), जिसके कारण बंदूक पीछे की ओर झटका देती है (recoil)।
  1. संवेग संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Momentum):
  • परिभाषा: यदि वस्तुओं के किसी समूह पर कोई बाहरी असंतुलित बल नहीं लग रहा है, तो उस समूह का कुल संवेग नियत रहता है, यानी संरक्षित रहता है।
  • नियम का गणितीय रूप: मान लीजिए दो वस्तुएँ A और B हैं जिनके प्रारंभिक संवेग pA1​ और pB1​ हैं। यदि वे आपस में टकराते हैं और उनके अंतिम संवेग क्रमशः pA2​ और pB2​ हो जाते हैं, तो संवेग संरक्षण के नियम के अनुसार: कुल प्रारंभिक संवेग=कुल अंतिम संवेग pA1​+pB1​=pA2​+pB2​ यदि वस्तुओं के द्रव्यमान क्रमशः m1​ और m2​ और प्रारंभिक वेग u1​ और u2​ हों, और अंतिम वेग v1​ और v2​ हों, तो: m1​u1​+m2​u2​=m1​v1​+m2​v2​
  • दैनिक जीवन में अनुप्रयोग:
    • रॉकेट का प्रक्षेपण: रॉकेट ईंधन को तेजी से पीछे की ओर धकेलता है (क्रिया), और प्रतिक्रिया के रूप में गैसें रॉकेट को आगे की ओर धकेलती हैं।
    • बंदूक का प्रतिक्षेप (Recoil of a gun): गोली आगे की ओर जाती है, और बंदूक पीछे की ओर झटका देती है ताकि कुल संवेग संरक्षित रहे।
    • टकराव (Collisions): दो वस्तुओं के टकराने से पहले और बाद का कुल संवेग समान रहता है (यदि कोई बाहरी बल न लगे)

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