अध्याय 1 – पादपों में पोषण
- पोषण क्या है? (What is Nutrition?)
- पोषण (Nutrition) सजीवों द्वारा भोजन ग्रहण करने और इसके उपयोग की विधि है।
- सभी सजीवों को जीवित रहने और बढ़ने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है।
- पोषण के प्रकार (Modes of Nutrition)
सजीवों में पोषण मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है:
- स्वपोषी पोषण (Autotrophic Nutrition):
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- ‘स्व’ (Auto) का अर्थ है स्वयं और ‘पोषी’ (Trophos) का अर्थ है पोषण।
- वे सजीव जो अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, स्वपोषी (Autotrophs) कहलाते हैं।
- हरे पौधे (Green Plants) स्वपोषी होते हैं।
- विषमपोषी पोषण (Heterotrophic Nutrition):
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- ‘विषम’ (Hetero) का अर्थ है अन्य और ‘पोषी’ (Trophos) का अर्थ है पोषण।
- वे सजीव जो अपने भोजन के लिए सीधे या परोक्ष रूप से दूसरों (पौधों या अन्य जानवरों) पर निर्भर करते हैं, विषमपोषी (Heterotrophs) कहलाते हैं।
- मनुष्य और अधिकांश जंतु विषमपोषी होते हैं।
- पादपों में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis in Plants)
- हरे पौधे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, और यह प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) कहलाती है।
- प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसमें हरे पौधे सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) और जल (Water) से अपना भोजन (कार्बोहाइड्रेट) बनाते हैं।
- प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक घटक (Components required for Photosynthesis):
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2): यह वायुमंडल से पत्तियों में छोटे छिद्रों, जिन्हें स्टोमेटा (Stomata) कहते हैं, के माध्यम से प्रवेश करती है।
- प्रक्रिया (Process):
- पत्तियों में क्लोरोफिल युक्त कोशिकाएँ सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड और जल का उपयोग करके कार्बोहाइड्रेट (भोजन) और ऑक्सीजन बनाती हैं।
- समीकरण:
कार्बन डाइऑक्साइड+जलक्लोरोफिलसूर्य का प्रकाशकार्बोहाइड्रेट+ऑक्सीजन
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- उत्पाद (Products):
- कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates): यह पौधे का भोजन होता है। बाद में यह स्टार्च (Starch) के रूप में पत्तियों में भंडारित हो जाता है।
- ऑक्सीजन (Oxygen): यह एक सह-उत्पाद है जो पत्तियों से वायुमंडल में मुक्त होता है। यह जीवन के लिए आवश्यक है।
- उत्पाद (Products):
- पत्ती – पादप की खाद्य फैक्ट्रियाँ (Leaf – Food Factories of the Plant):
- पत्तियाँ पौधे की खाद्य फैक्ट्रियाँ होती हैं क्योंकि भोजन पत्तियों में बनता है।
- क्लोरोफिल केवल पत्तियों में मौजूद होता है, इसलिए प्रकाश संश्लेषण मुख्य रूप से पत्तियों में होता है।
- पत्तियों के अलावा प्रकाश संश्लेषण: पौधे के अन्य हरे भाग (जैसे हरे तने और शाखाएँ) भी प्रकाश संश्लेषण कर सकते हैं।
- मरुस्थलीय पादप: इनमें वाष्पोत्सर्जन (transpiration) द्वारा जल हानि को कम करने के लिए पत्तियां काँटेदार या शल्क रूपी होती हैं। ऐसे पादपों के हरे तने प्रकाश संश्लेषण करते हैं।
- पादपों में पोषण के अन्य तरीके (Other Modes of Nutrition in Plants)
कुछ पौधे विषमपोषी भी होते हैं:
- परजीवी पोषण (Parasitic Nutrition):
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- कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिनमें क्लोरोफिल नहीं होता और वे अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते।
- वे अपने पोषण के लिए अन्य पौधों पर निर्भर करते हैं। ऐसे पौधों को परजीवी (Parasites) कहते हैं।
- उदाहरण: अमरबेल (Cuscuta)। यह एक पीले रंग की नली जैसी संरचना होती है जो अन्य वृक्षों के तने और शाखाओं पर लिपटी रहती है। यह पोषक तत्वों को ‘मेजबान पादप’ (Host Plant) से प्राप्त करती है।
- कीटभक्षी पादप (Insectivorous Plants):
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- कुछ पौधे ऐसे होते हैं जो कीटों को पकड़ते हैं और उन्हें पचाते हैं।
- इन पौधों को कीटभक्षी पादप कहते हैं।
- ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये पौधे ऐसी मिट्टी में उगते हैं जहाँ नाइट्रोजन की कमी होती है, और कीटों को पचाकर वे नाइट्रोजन की कमी को पूरा करते हैं।
- उदाहरण: घटपर्णी (Pitcher Plant), वीनस फ्लाईट्रैप।
- घटपर्णी की पत्ती एक घड़े के आकार में बदल जाती है जिसमें एक ढक्कन होता है। घड़े के अंदर नीचे की ओर झुके हुए बाल होते हैं। जब कोई कीट घड़े में प्रवेश करता है, तो ढक्कन बंद हो जाता है और कीट बालों में फंस जाता है। घड़े में पाचक रस होते हैं जो कीट को पचा लेते हैं।
iii. मृतजीवी पोषण (Saprophytic Nutrition):
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- कुछ सजीव ऐसे होते हैं जो मृत और विघटित (decaying) पदार्थों से पोषण प्राप्त करते हैं।
- इन्हें मृतजीवी (Saprophytes) कहते हैं।
- उदाहरण: कवक (Fungi) जैसे मशरूम, ब्रेड पर उगने वाली फफूंदी।
- ये सजीव मृत और विघटित पदार्थों पर पाचक रसों का स्राव करते हैं और उन्हें सरल घोल में परिवर्तित कर देते हैं, फिर उससे पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं।
- सहजीवी संबंध (Symbiotic Relationship):
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- कुछ सजीव एक साथ रहते हैं और आवास तथा पोषण के लिए एक-दूसरे के साथ भागदारी करते हैं। इस संबंध को सहजीवी संबंध कहते हैं।
- उदाहरण: लाइकेन (Lichens)।
- इसमें एक शैवाल (Alga) और एक कवक (Fungus) साथ रहते हैं।
- शैवाल में क्लोरोफिल होता है, इसलिए यह प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन प्रदान करता है।
- कवक शैवाल को रहने के लिए स्थान, जल और खनिज प्रदान करता है।
- मृदा में पोषक तत्वों की पुनःपूर्ति (Replenishment of Nutrients in the Soil)
- पौधे मिट्टी से लगातार पोषक तत्वों (जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम) को अवशोषित करते रहते हैं।
- इससे मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
- पोषक तत्वों की पुनःपूर्ति के तरीके:
- उर्वरक और खाद डालना (Adding Fertilizers and Manures): ये मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों (नाइट्रोजन, पोटेशियम, फास्फोरस आदि) को फिर से भरते हैं।
- फसल चक्रण (Crop Rotation): एक फसल के बाद दूसरी फसल उगाना जो मिट्टी के पोषक तत्वों को बनाए रखने में मदद करती है (जैसे अनाज के बाद फलीदार फसलें)।
- राइजोबियम जीवाणु (Rhizobium Bacteria):
- ये जीवाणु फलीदार पौधों (जैसे चना, मटर, मूंग, दालें) की जड़ों की ग्रंथिकाओं (nodules) में रहते हैं।
- ये वायुमंडलीय नाइट्रोजन को मिट्टी में उपयोगी रूप में बदल देते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
- यह एक सहजीवी संबंध का उदाहरण है।