अध्याय 1 – समानता

अध्याय 1 – समानता पर

 

  1. समानता क्या है? (What is Equality?)
  • समानता (Equality) का अर्थ है कि सभी लोगों को समान महत्व और सम्मान मिलना चाहिए, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग, आर्थिक स्थिति या शिक्षा कुछ भी हो।
  • लोकतंत्र में समानता एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवधारणा है।

 

  1. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (Universal Adult Franchise)
  • लोकतंत्र में, सभी वयस्कों को मतदान का अधिकार होता है, चाहे उनका आर्थिक स्तर या जाति कुछ भी हो। इसे सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कहते हैं।
  • यह समानता के सिद्धांत पर आधारित है, क्योंकि यह इस विचार पर जोर देता है कि हर वयस्क व्यक्ति का वोट समान होता है।
  • भारत में, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार है।

 

  1. अन्य प्रकार की असमानताएँ (Other Kinds of Inequality)
  • हालाँकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और कानून के सामने सभी को समान मानता है, फिर भी हमारे समाज में कई तरह की असमानताएँ मौजूद हैं।
  • जातिगत असमानता (Caste Inequality):
    • यह भारत में असमानता का एक बहुत ही सामान्य रूप है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
    • कुछ समुदायों को ‘दलित’ (यानी ‘टूटा हुआ’ या ‘कुचला हुआ’) माना जाता है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
    • उदाहरण: ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानी (उनकी आत्मकथा ‘जूठन’ से), जहाँ उन्हें स्कूल में झाड़ू लगाने के लिए कहा गया था और उन्हें अन्य बच्चों से अलग बैठना पड़ा था।
  • धार्मिक असमानता (Religious Inequality):
    • धर्म के आधार पर भेदभाव।
  • लैंगिक असमानता (Gender Inequality):
    • पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव।
  • आर्थिक असमानता (Economic Inequality):
    • आय और धन के आधार पर भेदभाव। गरीब लोगों को अक्सर सार्वजनिक स्थानों पर समान सम्मान नहीं मिलता।
  • व्यक्तिगत गरिमा का उल्लंघन (Violation of Personal Dignity):
    • जब लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है या उन्हें अपमानित किया जाता है, तो उनकी गरिमा (Dignity) का उल्लंघन होता है।
    • हर व्यक्ति सम्मान का हकदार है।

 

  1. संविधान में समानता (Equality in the Constitution)
  • भारतीय संविधान सभी व्यक्तियों को समान (Equal) मानता है।
  • इसका अर्थ है कि देश का कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।
  • समानता सुनिश्चित करने के लिए संविधान में प्रावधान:
  1. कानून के समक्ष समानता (Equality before the Law): सभी व्यक्ति कानून के सामने समान हैं।
  2. भेदभाव का निषेध (Prohibition of Discrimination): किसी भी व्यक्ति के साथ उसके धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान

या नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।

               iii. सार्वजनिक स्थानों तक पहुँच (Access to Public Places): सभी व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों (दुकानें, होटल, कुएँ,

स्नानघाट, सड़कें) तक समान पहुँच रखते हैं।

  1. अस्पृश्यता का उन्मूलन (Abolition of Untouchability): ‘अस्पृश्यता’ (छुआछूत) को समाप्त कर दिया गया है और

यह एक दंडनीय अपराध है।

 

  1. सरकार द्वारा समानता स्थापित करने के प्रयास (Government’s Efforts to Establish Equality)

सरकार ने संविधान में समानता के अधिकार को लागू करने के लिए दो मुख्य तरीके अपनाए हैं:

  1. कानूनों के माध्यम से (Through Laws):
  • सरकार ने कई कानून बनाए हैं जो समानता के अधिकार को लागू करते हैं और भेदभाव को प्रतिबंधित करते हैं।
  • उदाहरण: नागरिक अधिकार अधिनियम, 1955 (Civil Rights Act, 1955) (हालाँकि यह एक पुराना कानून है, यह अस्पृश्यता के खिलाफ बनाया गया था)।
  1. सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से (Through Government Schemes and Programmes):
  • सरकार ने कई योजनाएँ और कार्यक्रम शुरू किए हैं ताकि वंचित समुदायों के जीवन में सुधार लाया जा सके और उन्हें मुख्यधारा में लाया जा सके।
  • उदाहरण: मध्याह्न भोजन योजना (Mid-day Meal Scheme):
        • यह योजना सबसे पहले तमिलनाडु में शुरू की गई थी।
        • इसके तहत सरकारी स्कूलों में सभी बच्चों को दोपहर का भोजन प्रदान किया जाता है।
        • लाभ:
          • गरीब बच्चों को स्कूल जाने और भोजन प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
          • भूख कम करता है।
          • जातिगत पूर्वाग्रहों को कम करने में मदद करता है (सभी बच्चे एक साथ भोजन करते हैं)।
          • स्कूल में बच्चों की उपस्थिति में सुधार होता है।

 

  1. लोकतंत्र में समानता की चुनौती (Challenge of Equality in a Democracy)
  • हालाँकि कानून सभी को समान मानते हैं, फिर भी असमानता वास्तविक जीवन में बनी हुई है।
  • यह लोगों के दृष्टिकोण और व्यवहार (Attitudes and Behaviour) में परिवर्तन लाने की चुनौती है।
  • हमें यह समझना होगा कि हर व्यक्ति सम्मान और गरिमा का हकदार है।
  • न्याय (Justice): जब लोगों के साथ समान व्यवहार किया जाता है, तो यह न्याय सुनिश्चित करता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top