सत्ता के नए केंद्र
सत्ता के नए केन्द्रो से अभिप्राय उन देशो और संगठनों से है, जो भविष्य में जाकर महाशक्ति बन सकते है और वर्तमान में भी विश्व व्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाते है।
“शीत युद्ध के अंत और दो ध्रुवीयता के पतन के बाद विश्व राजनीति में सत्ता के नए केंद्र उभरने लगे। जानिए कैसे चीन, भारत और यूरोपीय संघ जैसे राष्ट्र एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं।”
मार्शल योजना:- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका द्वारा पश्चिम यूरोप के देशो को दी गई आर्थिक सहायता मार्शल योजना कहलाती है|
यूरोपीय संघ
स्थापना 1992 में मास्ट्रिच की संधि द्वारा
संस्थापक देश जर्मनी, फ्रांस,इटली, नीदरलैंड, बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग
मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम)
यूरोपीय संघ की स्थापना
- 1948 में मार्शल योजना के तहत यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई |
- 1949 में यूरोपीय परिषद् का गठन किया गया।
- 1957 में छः देशो फ्रांस , पश्चिम जर्मनी , इटली , बेल्जियम , नीदरलैंड और लक्जमबर्ग ने रोम संधि के माध्यम से यूरोपीय आर्थिक समुदाय (यूरोपियन इकनोमिक कम्युनिटी) और यूरोपीय एटमी ऊर्जा समुदाय का गठन किया ।
- 1992 में मॉस्ट्रिच की संधि के द्वारा यूरोपीय संघ की स्थापना की गई |

यूरोपीय संघ के उद्देश्य
- आर्थिक विकास
- आपसी सहयोग
- विवादों का शांतिपूर्ण समाधान
- सामान विदेश नीति
- वीज़ा मुक्त आवागमन
- एक समान मुद्रा का चलन
यूरोपीय संघ की विशेषताएँ
- यूरोपीय संघ का अपना झंडा , गान , स्थापना दिवस और अपनी एक मुद्रा है।
- यूरोपीय संघ का झंडा नीले रंग का है जिसमे 12 सोने के रंग के सितारे है जो वहाँ के लोगों की समग्रता , एकता और मेलमिलाप का प्रतीक है।
- यूरोपीय संघ ने आर्थिक सहयोग वाली संस्था से बदलकर राजनैतिक संस्था का रूप ले लिया है।
- यूरोपीय संघ एक विशाल राष्ट्र राज्य की तरह कार्य करने लगा है।
- अन्य देशों से संबंधों के मामले में इसने काफी हद तक साझी विदेश और सुरक्षा नीति बना ली है।
यूरोपीय संघ को ताक़तवर बनाने वाले कारक/यूरोपीय संघ सत्ता का एक नया केंद्र
- 2005 में यूरोपीय संघ का घरेलू उत्पाद 12000 अरब डॉलर था| जो विश्व में सबसे अधिक था तथा 2016 में इसका घरेलू उत्पाद 17000 अरब डॉलर था जो विश्व में अमेरिका के बाद सबसे अधिक था
- यूरोपीय संघ की मुद्रा यूरो है जो विश्व व्यापर में अमेरिकी डॉलर के लिए खतरा बनी हुई है
- विश्व व्यापर में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी अमेरिका से तीन गुना अधिक है जिससे ये अंतराष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित करता है
- यूरोपीय संघ विश्व व्यापार संघठन जैसे अंतराष्ट्रीय संघठनो में एक महत्वपूर्ण संघठन के रूप में कार्य करता है
- यूरोपीय संघ का एक देश (फ्रांस) सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य है तथा कई देश अस्थाई सदस्य हैं
- यूरोपीय संघ के पास विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है इसका रक्षा बजट अमेरिका के बाद सबसे अधिक है
- यूरोपीय संघ का एक देश फ्रांस परमाणु संपन्न देश है
- अंतराष्ट्रीय विज्ञान और संचार प्रौद्योगिकी के मामले में यूरोपीय संघ का विश्व में दूसरा स्थान है
नोट:- 2020 को ब्रिटैन यूरोपीय संघ से अलग हो गया इस घटना को ब्रेक्सिट(BREXIT) के नाम से जाना जाता है
यूरोपीय संघ की कमज़ोरियाँ
- संविधान बनाने में विफ़ल : 2003 में यूरोपीय संघ ने अपना संविधान बनाने की कोशिश की पर वह सफल नहीं हो सका
- असमान रक्षा नीति व् विदेश नीति : इसके सदस्य देशों की अपनी विदेश और रक्षा नीति है जो कई बार एक – दूसरे के खिलाफ भी होती हैं । जैसे – इराक पर हमले के मामले में ब्रिटैन से समर्थन किया जबकि फ़्रांस और जर्मनी ने विरोध किया
- मुद्रा को लेकर नाराज़गी: यूरोप के कुछ हिस्सों में यूरो मुद्रा को लागू करने को लेकर नाराजगी है । डेनमार्क और स्वीडन ने यूरो विरोध किया
- अमेरिका से सम्बन्ध : यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश अमरीकी गठबंधन में हैं जो उसके आपसी सम्बन्धो को प्रभावित करता है
- ब्रिटेन यूरोपीय संघ से जून 2016 मे एक जनमत संग्रह के द्वारा अलग हो गया है
यूरोपीय संघ एक राजनीतिक संघठन
- यूरोपीय संघ एक राज्य की भाँति है जिसका अपना झण्डा , गान एवं स्थापना दिवस है ।
- यूरोपीय संसद के गठन के कारण
- न्याय एवं घरेलू मामलों पर आपसी सहयोग
- एक मुद्रा, एक पासपोर्ट , एक वीज़ा नीति
- एक संविधान बनाने की कोशिश
आसियान
ASEAN Association of South East Asian Nations
आसियान दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन
स्थापना 1967 में बैंकॉक घोषणा पत्र द्वारा
संस्थापक देश इंडोनेशिया, मलेशिया, फ़िलीपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड
बाद में शामिल देश ब्रूनेई दारुस्सलाम , वियतनाम, लाओस , म्यांमार, कम्बोडिया
मुख्यालय जकार्ता (इंडोनेशिया)
आसियान के उद्देश्य
- आर्थिक विकास तेज़ करना
- सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देना
- कानून व्यवस्था और शासन व्यवस्था को सुधारना
- शांति को बढ़ावा देना
आसियान शैली
- आसियान ने सहयोग और मेल मिलाप द्वारा विकास करके विश्व के सामने नया उदाहरण पेश किया।
- इसके सहयोगात्मक एवं टकरावरहित विकास के तरीके को ही आसियान शैली कहा जाता है।
आसियान के प्रमुख स्तंभ
- आसियान सुरक्षा समुदाय
कार्य
- सदस्यों देशो के बीच के विवादों को सुलझाना
- शांति और सहयोग को बढ़ावा देना।
- आसियान आर्थिक समुदाय
कार्य
- साझा व्यापार को बढ़ावा देना
- मुक्त व्यपार बढ़ाना
- आर्थिक विवादों को सुलझाना
- सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय
कार्य
- सदस्य देशो के बीच सामाजिक विकास करना
- आसियान देशो की संस्कृति का विस्तार करना
विज़न 2020
आसियान के देशो ने अपने विकास के लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किये थे जिन्हे वो 2020 तक पूरा करना चाहता था इन्ही लक्ष्यों को असियान का विज़न 2020 कहा गया |
आसियान क्षेत्रीय मंच : – 1994 में आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना की गई । जिसका उद्देश्य देशों की सुरक्षा और विदेश नीतियों में तालमेल बनाना तथा विवादों का शांति पूर्ण निपटारा करना है
आसियान की उपयोगिता या प्रासंगिकता
- आसियान एशिया का एकमात्र ऐसा संगठन है जो एशियाई देशों और विश्व शक्तियों को राजनैतिक और सुरक्षा मामलों पर चर्चा के लिए मंच उपलब्ध कराता है ।
- आसियान भारत और चीन जैसे तेजी से विकसित होने वाले एशियाई देशों के साथ व्यापार और निवेश को बढ़ावा दे रहा है जो इसकी मौजूदा आर्थिक शक्ति को दिखाता है
- आसियान ने निवेश , श्रम और सेवाओं के मामले में मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने पर भी ध्यान दिया है । अमेरिका तथा चीन ने भी आसियान के साथ मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने में रूचि दिखाई है ।
- आसियान निरंतर अपने सदस्य देशों , सहभागी सदस्यों और बाकी गैर- क्षेत्रीय संगठनों के बीच संवाद और परामर्श करता रहता है। आसियान की ये नीति उसे राजनितिक और कूटनीतिक स्तर पर ताकतवर बनाती है
भारत और आसियान
शुरुआत में भारत ने आसियान पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया पर बाद के समय में भारत ने आसियान के देशो के साथ सम्बन्ध सुधारने और व्यापार बढ़ाने की प्रयास किये।
- 1991 में भारत द्वारा पूर्व चलो की नीति को अपनाया गया और पूर्वी एशियाई देशो से सम्बन्ध अच्छे करने के प्रयास किये गए।
- भारत ने दो आसियान देशो सिंगापुर और थाईलैंड से मुक्त व्यापार समझौता किया है।
- 2009 में भारत ने आसियान के साथ ‘ मुक्त व्यापार समझौता किया । जो 1 जनवरी 2010 से लागू हुआ ।
- हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने आसियान देशों की यात्रा की तथा विभिन्न क्षेत्रों सहयोग बढ़ाने पर समझौते किए तथा ‘ पूर्व की ओर देखो ‘ नीति के स्थान पर एक्ट ईस्ट पॉलिसी की संकल्पना प्रस्तुत की । इसी के अंतर्गत वर्ष 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में आसियान देशों के राष्ट्रध्यक्षों को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था ।
- 2018 सिंगापुर में हुए 33 वां आसियान शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाग लिया ।
- 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैंकाक में आयोजित आसियान शिखर सम्मेलन भी भाग लिया ।
- 17 वें आसियान – भारत शिखर सम्मेलन 12 नवंबर 2020 को VIRTUAL आयोजित किया गया ।
पूर्व की ओर देखो नीति
1991 में भारत द्वारा पूर्व के देशो के साथ सहयोग स्थापित करने और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक नीति बनाई । इसी नीति को पूर्व की ओर देखो की नीति कहा जाता है। वर्तमान में इस नीति का नाम बदलकर एक्ट ईस्ट पॉलिसी कर दिया गया है
दक्षेस ( SAARC) :-
SAARC South Asian Association for Regional Corporation
दक्षेश दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन
स्थापना 1985, ढाका घोषणा पत्र द्वारा
मुख्यालय काठमांडू (नेपाल)
सदस्य भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्री लंका, मालदीव अफगानिस्तान (2007 में शामिल)
दक्षेस (SAARC) के उद्देश्यों :-
- आर्थिक विकास करना ।
- आपसी विवादों का निपटारा ।
- आत्मनिर्भरता का विकास ।
- सांस्कृतिक एवं सामाजिक विकास करना ।
- आपसी सहयोग बढ़ाना ।
- आपसी विश्वास बढ़ाकर व्यापार को बढ़ावा देना ।
- दक्षिण एशिया के देशों में जनता के विकास एवं जीवन स्तर में सुधार लाना ।
सार्क की उपलब्धियाँ :-
- भारत व पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावूजद भी द्विपक्षीय स्तर पर समझ और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए छोटे देशों के लिए अभी भी उपयोगी संगठन है ।
- साफ्टा(SAFTA) को बनाकर व्यापार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है ।
- पर्यावरण क्षेत्रों में सहयोग की बात की है।
- आर्थिक विकास व ऊर्जा आदि क्षेत्रों में सहयोग की बात की है।
- वैश्वीकरण के दौर में हुए सार्क सम्मेलनों में जलवायु परिवर्तन , आपदा प्रबन्धन एवं आतंकवाद की समाप्ति संबंधी तथा इस क्षेत्र में व्यापार एवं विकास को बढ़ावा देने हेतु कई समझौतो पर हस्ताक्षर हुए ।
दक्षेस SAARC के प्रमुख सम्मेलन : –
- 2005 में 13वें सार्क शिखर सम्मेलन ढाका में अफगानिस्तान को सार्क में शामिल करने पर सहमति बनी ।
- 2007 के 14वें शिखर सम्मेलन ( नई दिल्ली ) में अफगानिस्तान पहली बार सार्क शिखर सम्मेलन में शामिल हुआ ।
- सार्क का 18वाँ शिखर सम्मेलन 26 – 27 नवम्बर 2014 को नेपाल की राजधानी काठमांडू में सम्पन्न हुआ जिसका विषय शांति एवं समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध एकजुटता था ।
- 15-16 नवंबर 2016 को 19 वां सार्क शिखर सम्मेलन इस्लामाबाद , पाकिस्तान में आयोजन किया जाना तय था । कश्मीर में हुए आतंकवादी ‘उड़ी हमले’के विरोध में भारत ने इस सम्मेलन का बहिष्कार किया । बांग्लादेश , अफगानिस्तान , भूटान , मालद्वीव और श्रीलंका ने भी सम्मेलन में भाग नहीं लिया ।
SAFTA(SOUTH ASIAN FREE TRADE AREA)
जनवरी 2004 में आयोजित 12वें शिखर सम्मेलन में सार्क देशों ने ऐतिहासिक दक्षिणी एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) समझौते पर हस्ताक्षर किये , जो 1 जनवरी 2006 से प्रभावी हुआ ।
- इस समझौते के मुख्य उद्देश्य है ।
- दक्षिण एशियाई क्षेत्र में मुक्त व्यापार संबंधी बाधाओं को दूर करना ।
- व्यापार एवं प्रशुल्क प्रतिबंधों के सभी प्रकारों को समाप्त करने का प्रयास करते हुए अधिक उदार व्यवस्था स्थापित करना
- परामर्श और विवाद निपटान प्रक्रियाओ की शुरुआत करना
ब्रिक्स (BRICS)
- B – Brazil
- R – Russia
- I – India
- C – China
- S – South Africa
मुख्यालय = शंघाई (चीन)
CBSE REFERENCE MATERIAL
ब्रिक्स शब्द क्रमशः ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका को दर्शाता है। ब्रिक (BRIC) की स्थापना 2006 में रूस में हुई थी। वर्ष 2009 में अपनी पहली बैठक में दक्षिण अफ्रीका को शामिल करने के बाद ब्रिक(BRIC) ब्रिक्स(BRICS) में बदल गया। ब्रिक्स के प्रमुख उद्देश्यमुख्य रूप से आंतरिक मामलो में हस्तक्षेप न करने के अलावाप्रत्येक राष्ट्र की नीतियां में परस्पर समानता अपने सदस्यों के बीच पारस्परिक सहयोग तथा आर्थिक लाभों को वितरित करना है। ब्रिक्स का 11वां सम्मेलन 2019 में ब्राजील में संपन्न हुआ, जिसकी अध्यक्षता ब्राजीलियाई राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने की |
- ब्रिक्स एक संगठन है जिसे 5 देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के बीच व्यापार राजनीति और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाने के लिए बनाया गया है
ब्रिक्स के उद्देश्य
- आपसी सहयोग द्वारा विकास की गति को तेज करना
- आपसी राजनीतिक सहयोग स्थापित करना
- अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता को बनाए रखना
- वैश्विक आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना
- बहुध्रुवीय दुनिया का एकजुट केन्द्र बनना
- साझा चुनौतियों का मिलजुल कर समाधान करने के प्रयास करना
ब्रिक्स के सम्मेलन
- इसका पहला सम्मेलन 16 जून 2009 को यकितरीन (रूस) में हुआ
- ब्रिक्स का 11 वां सम्मेलन 2019 में ब्राजील में हुआ , जिसकी अध्यक्षता ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने की ।
- ब्रिक्स का 12 वां सम्मेलन 2020 में रूस में ऑनलाइन आयोजित हुआ । रूस ब्रिक्स का मेजबान और अध्यक्ष था ।
- 13 वां ब्रिक्स वार्षिक शिखर सम्मेलन 9 सितंबर 2021 को वर्चुअल(ऑनलाइन) माध्यम ये आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने की ।
- इस सम्मेलन का विषय – निरतंरता , समेकन और आम सहमति हेतु ब्रिक्स के बीच सहयोग था ।
- इस सम्मलेन में ‘ Counter Terrorism Action Plan ‘ आतंकवाद को रोकने के लिए अपनाया गया ।
- इस सम्मेलन में पहली बार डिजीटल हेल्थ की चर्चा की गई जिसमें तकनीक के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध कराना है ।
- वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा के मसलों पर आम सहमति से चर्चा हुई।
- पर्यावरण को संरक्षित करने हेतु भी चर्चा की गई ।
रूस
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सोवियत संघ के विघटन से पहले पूर्व रूस उसका सबसे बड़ा हिस्सा रहा है। सोवियत संघ के विघटन के बाद 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में रूस USSR [सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ] के मज़बूत उत्तराधिकारी के रूप में उभरा। रूस की जीडीपी इस समय दुनिया में 11वें स्थान पर है। रूस के पास खनिजों, प्राकृतिक संसाधनों और गैसों के भंडार हैं जो इसे वैश्विक दुनिया में एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाते हैं। इसके अलावा, रूस एक परमाणु संपन्न राज्य है जिसके पास परमाणु हथियारों का विशाल भंडार है। रूस भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक स्थायी सदस्य है, जिसे P-5 . कहा जाता है
- 1917 में बोल्शेविक क्रांति के बाद 15 गणराज्यों को मिलाकर सोवियतसंघ का निर्माण किया गया रूस भी इन 15 गण राज्यों में से एक था इन 15 गण राज्यों में सबसे विशाल गणराज्य रूस था
- 1917 से लेकर 1991 तक रूस USSR का हिस्सा रहा
- 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस एक देश बना और इसे सोवियत संघ का उत्तराधिकारी बना दिया गया यानि जो भी अधिकार सोवियत संघ के पास थे वह सभी रूस को दे दिए गए जैसे कि
- परमाणु हथियार
- यूएनओ की सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता
- उन सभी संधियों का पालन रूस को करना था जो सोवियत संघ और अमेरिका के बीच की गई थी
रूस की विशेषताएं
- राजनीतिक विशेषताएं
- 1993 के संविधान में इसको एक गणतांत्रिक सरकार के साथ लोकतांत्रिक , संघात्मक , कानून आधारित देश घोषित किया गया ।
- यह UNO का एक स्थायी सदस्य है और इसके पास वीटो पावर है ।
- यहां के वर्तमान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन है ।
- यहां पर भी सामान्य रूप से चुनाव होते है और नेताओ को चुना जाता है
- आर्थिक विशेषताएँ
- दुनिया की 11 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है ।
- इसकी अर्थव्यवस्था मूल रूप से प्राकृतिक संसाधनों के उत्पादन और निर्यात के लिए उन्मुख है ( ज्यादातर तेल ) ।
- अपने उन्नत संसाधनों के कारण यह विश्व में एक मजबूत देश के रूप में स्थापित है लेकिन आर्थिक विकास के मामले में यह अमेरिका से अभी भी काफी पीछे है ।
- सैन्य विशेषताएँ : –
- सैन्य क्षमता के मामले में विश्व में रूस का दूसरा स्थान है
- यह एक परमाणु संपन्न देश है ।
- तकनीक के विकसित होने के कारण इसके पास बहुत आधुनिक हथियार मौजूद है ।
- यह हथियारों का एक बहुत बड़ा निर्यातक देश है भी है ।
- इसके पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रक्षा बजट भी है ।
रूस और भारत के सम्बन्ध
- नकारात्मक पक्ष
- भारत के अमेरिका के साथ बढ़ते सम्बन्धो की वजह से दोनों देशो के बीच दूरियाँ बढ़ी है
- हाल ही में रूस ने पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास किया
- भारत का ध्यान वर्तमान में रूस के स्थान पर अमेरिका, फ्रांस व् इज़राइल जैसे पूंजीवादी देशो से हथियार खरीदने पर है
- सकारात्मक
- दोनों का सपना बहुध्रुवीय विश्व का है
- 1971 में भारत और रूस के बीच बीस वर्षीय संधि हुई 1991 में इस संधि को 20 वर्ष के लिए बढ़ाया गया
- 2001 में भारत और रूस के बीच 80 द्विपक्षीय समझौता
- कश्मीर मुद्दे पर रूस का भारत को समर्थन
- भारत रुसी हथियारों का एक बड़ा खरीददार देश है
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2018 में रूस के सोची शहर में अपना पहला अनौपचारिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया।
- दोनों देशो के बीच व्यापार तेज़ी से बढ़ रहा है जिससे सम्बन्धो में सुधार आया है
- भारतीय फिल्मो को रूस में बहुत अधिक पसंद किया जाता है
चीन
माओ के नेतृत्व में चीन
- 1 अक्टूबर 1949 को चीन की स्थापना की गई। तथा चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई
- चीन ने खुद को पूरी दुनिया से अलग कर लिया| शुरुआत में चीन ने सरकार के नियंत्रण में बड़े बड़े उद्योगों का विकास किया
- विदेशी मुद्रा में कमी होने के कारण विदेशो से तकनीक और सामान मंगाना मुश्किल था इसीलिए चीन से सभी चीज़ो का उत्पादन देश के अंदर करने की ही कोशिश की
इस कारण चीन को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा
- चीन ने समाजवादी मॉडल खड़ा करने के लिए तथा विशाल औद्योगिक अर्थव्यवस्था बनाने के लिए अपने सारे संसाधनों को उद्योग में लगा दिया ।
- बढ़ती हुई जनसँख्या के कारण चीन की अपने नागरिको को रोजगार , स्वास्थ्य सुविधा और सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ देने की नीति विफल हो गई
- कृषि परम्परागत तरीकों पर आधारित होने के कारण वहाँ के उद्योगों की जरूरत को पूरा नहीं कर पा रही थी ।
चीन में आर्थिक सुधार
- चीन ने अचानक से अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने की बजाये योजना के अनुसार अर्थव्यवस्था में बदलाव किया
- 1972 में पहली बार चीन ने अमेरिका से संबंध बनाये
- इसके एक साल बाद यानि 1973 में उस समय के चीनी प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने कृषि, उद्योग, सेना एवं विकास और प्रौद्योगिकी में विकास का प्रस्ताव रखा
- 1978 में प्रधानमंत्री देंग श्याओपेंग ने खुले द्वार की नीति की घोषणा की।
- 1982 में खेती का निजीकरण किया
- 1988 में उद्योगों का निजीकरण किया
- SEZ यानि SPECIAL ECONOMIC ZONE की स्थापना की गई
- 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हुआ।
चीन की नयी आर्थिक नीतियों के परिणाम
- सकारात्मक पक्ष
- अर्थव्यवस्था में गति आई
- कृषि के निजीकरण की वजह से किसानो की आय बड़ी
- चीन में विदेशी निवेश की मात्रा में वृद्धि हुई
- विदेशी मुद्रा की मात्रा बड़ी और चीन ने दूसरे देशो में निवेश करना शुरू किया।
- चीन विश्व में आर्थिक शक्ति बन कर उभरा
- नकारात्मक पक्ष
- चीन में प्रशासनिक और सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार बढ़ा ।
- विकास की गतिविधियों ने पर्यावरण को काफी हानि पहुँचाई है ।
- वहाँ आर्थिक विकास का लाभ समाज के सभी सदस्यों को प्राप्त नहीं हुआ ।
- पूँजीवादी तरीकों को अपनाए जाने से बेरोजगारी बढ़ी है ।
- वहाँ महिलाओं के रोजगार और काम करने के हालात संतोषजनक नहीं है ।
- गाँव व शहर के और तटीय व मुख्य भूमि पर रहने वाले लोगों के बीच आय में अंतर बढ़ा है।
भारत और चीन के सम्बन्ध
- नकारात्मक पक्ष
- 1962 में चीन और भारत का युद्ध हुआ जिसमे भारत हार गया।
- जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश का सीमा विवाद
- भारत ने अजहर मसूद के आतंवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव पेश किया , जिस पर चीन ने वीटो पावर का प्रयोग किया
- डोकलाम विवाद
- चीन की महत्वाकांक्षी योजना Ones Belt One Road , जो कि POK से होती हुई गुजरेगी जो भारत के हितो के विरोधी है
- चीन द्वारा पाकिस्तान को मदद देना ।
- चीन भारत के परमाणु परीक्षणों का विरोध करता है ।
- सकारात्मक पक्ष
- पंचशील समझौता
- 1981 में सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत शुरू हुई
- 1988 में राजीव गाँधी ने चीन का दौरा किया और सम्बन्धो में कुछ सुधार आया।
- आर्थिक सहयोग बढ़ा और व्यापार में भी वृद्धि हुई। 1999 से द्विपक्षीय व्यापार 30 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है
- दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान – प्रदान , विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में परस्पर सहयोग और व्यापार के लिए सीमा पर चार पोस्ट खोलने हेतु समझौते किए
इजराइल
CBSE REFERENCE MATERIAL
विश्व मानचित्र में एक बिंदु के समकक्ष प्रतिबिंबित इजराइल , अर्थव्यवस्था के अतिरिक्त विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी , रक्षा तथा गुप्तचर मामलों में 21 वी शताब्दी के विश्व में एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उदित हुआ है । पश्चिम एशियाई देशों की ज्वलंत राजनीति के मध्य स्थित , इजराइल अपनी अदस्य क्षमता , रक्षा कौशल , तकनीकी नवाचार , औद्योगिकीकरण तथा कृषि विकास के कारण वैश्विक राजनीतिक क्षेत्र में नई ऊंचाईयों पर पहुंच गया है । प्रतिकूलता के विरूद्ध निरंतरता के सिद्धांत से मार्गदर्शक एक सूक्ष्म यहूदी – सियोनवादी राष्ट्र अर्थात इजरायल सामान्य रूप से समकालीन वैश्विक राजनीति में तथा विशिष्ट रूप में अरब प्रभुत्वशील पश्चिम एशियाई राजनीति में एक विशिष्ट भूमिका का निर्वहन करता है
इजराइल का निर्माण
- फिलिस्तीन से अलग होकर 14 मई 1948 को इजराइल एक अलग देश बना
- यह विश्व का अकेला यहूदी देश है विश्व में कहीं भी जन्म लेने वाला यहूदी व्यक्ति इजराइल का नागरिक होता है
- आजाद होने के बाद इसके आसपास के मुस्लिम देश इसके लिए सबसे बड़ी समस्या रही
- आजाद होने के तुरंत बाद मिस्र, सीरिया, इराक, और जॉर्डन ने इस पर हमला कर दिया
- यही से शुरुआत हुई अरब इजराइल वार की जो कि 1948 से लेकर 1949 तक चली
- इसमें इजराइल जीता और उसने एक बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर लिया
- 1967 में इजराइल के आसपास के देशो जॉर्डन, एवं अन्य अरब देशो का इज़राइल से युद्ध हुआ जिसे सिक्स डे वॉर कहा जाता है
इजराइल की विशेषताएं
- यहाँ की राष्ट्रीय भाषा हिब्रू है
- यहां पर भी भारत की तरह ही संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था है
- सेना की शक्ति के आधार पर इजराइल विश्व का आठवां सबसे बड़ा देश है
- जीडीपी के आधार पर इजराइल का विश्व में 21वां स्थान है
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इजराइल विकसित देशों से भी ज्यादा आगे है
- व्यापार के मामले में इजराइल अपने आकार के हिसाब से बहुत ज्यादा आगे हैं
भारत
- 21 वीं सदी में भारत को एक “उदयीमान वैश्विक शक्ति” के रूप में देखा जा रहा है ।
- एक बहुआयामी दृष्टिकोण से विश्व भारत की शक्ति तथा उसके उदय का अनुभव कर रहा है ।
- भारत की जनसंख्या लगभग 135 करोड़ है ।
- भारत की आर्थिक सामाजिक तथा सांस्कृतिक स्थिति बहुत सुदृढ़ है ।
- आर्थिक परिप्रेक्ष्य
- 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य ,एक विशाल प्रतिनिधि व्यापार केन्द्र तथा संपूर्ण विश्व में 200 मिलियन भारतीय प्रवासियों के साथ भारत की प्राचीन समावेशी संस्कृति भारत को 21 वीं शताब्दी में शक्ति के एक नए केन्द्र के रूप में एक विशिष्ट अर्थ तथा महत्व प्रदान करती है ।
- सामरिक दृष्टिकोण
- भारत की सैन्य शक्ति , परमाणु तकनीक के साथ इसे आत्मनिर्भर बनाती है ।
भारत की विशेषताएं
- विश्व का सातवां सबसे बड़ा देश
- जनसंख्या के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश
- वर्तमान में भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है
- सैन्य क्षमता के अनुसार भारत विश्व के प्रथम पांच देशों में आता है
- सैनिकों की संख्या के अनुसार भारत का विश्व में दूसरा स्थान है
- परमाणु हथियार संपन्न देश
जापान
जापान और द्वितीय विश्व युद्ध
- द्वितीय विश्व युद्ध में जापान धुरी राष्ट्रों में शामिल था
- द्वितीय विश्व युद्ध के अंत यानी सन 1945 में जापान पर अमेरिका द्वारा दो परमाणु बम गिराए गए
- यह बम जापान के 2 शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए थे और इन बमों का नाम लिटिल बॉय और फैट मैन था
- इन बमों की वजह से जापान में बहुत भारी तबाही हुई और जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण कर दिया
- इसके बाद जापानी अर्थव्यवस्था के विकास की शुरुआत हुई और आज जापान विश्व के कुछ मुख्य देशों में से एक है
जापान की विशेषताएं
- जापान में संवैधानिक राजतंत्र है यानी कि यहां पर राजा भी होता है और लोकतंत्र भी
- जापान विश्व का सबसे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी वाला देश है
- जीडीपी के अनुसार इसका विश्व में तीसरा स्थान है
- जनसंख्या के अनुसार इसका विश्व में 11 स्थान है
- जापान 1964 में आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन / ऑर्गनाइज़ेशन फॉर इकॉनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट ( OECD ) का सदस्य बन गया
- जापान का सैन्य व्यय उसके सकल घरेलू उत्पाद का केवल 1 प्रतिशत है फिर भी सैन्य व्यय के लिहाज से विश्व में जापान का स्थान सातवां है ।
- एशिया के देशों में अकेला जापान ही समूह – 7 ( G -7 ) के देशों में शामिल है ।
- संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट में अंशदान करने के लिहाज से जापान दूसरा सबसे बड़ा देश है
दक्षिण कोरिया
- शुरआती दौर
- कोरियाई प्रायद्वीप को द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में दक्षिण कोरिया ( रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया ) और उत्तरी कोरिया ( डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया ) में 38 वें समानांतर रेखा के साथ – साथ विभाजित किया गया था
- 1950-53 के दौरान कोरियाई युद्ध को कोरिया संकट के नाम से जाना जाता है
- 17 सितंबर 1991 को दोनों कोरिया संयुक्त राष्ट्र के सदस्य बने । इसी बीच दक्षिण कोरिया एशिया में सत्ता के केंद्र के रूप में उभरा
दक्षिण कोरिया की विशेषताएं
- 1960 के दशक से 1980 के दशक के बीच इसका आर्थिक शक्ति के रूप में तेजी से विकास हुआ,जिसे“हान नदी पर चमत्कार” कहा जाता है ।
- दक्षिण कोरिया 1996 में ओईसीडी(OECD) का सदस्य बन गया ।
- वर्तमान में यह दुनिया की बाहरवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और सैन्य खर्च में इसका दसवां स्थान है ।
- मानव विकास रिपोर्ट 2016 के अनुसार दक्षिण कोरिया का एचडीआई रैंक 18 है ।
- इसके उच्च मानव विकास के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारकों में ” सफल भूमि सुधार , ग्रामीण विकास , व्यापक मानव संसाधन विकास , तीव्र न्यायसंगत आर्थिक वृद्धि “ शामिल है ।
- सैमसंग , एलजी और हुंडई जैसे दक्षिण कोरियाई ब्रांड भारत में प्रसिद्ध है
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